Wednesday, November 20, 2024

 

Emotional Intelligence Scale 

(1) उद्देश्य (Objective):- संवेगात्मक  बुद्धि  मापनी के माध्यम से प्रयोज्य के संवेगात्मक बुद्धि का अध्ययन करना। 

(2) परीक्षण परिचय (Introduction):- यह प्रश्नावली Dr. Arun Kumar Sinha एवं Dr. Shruti Narain द्वारा निर्मित की गई है। इस प्रश्नावली में 31 प्रश्न हैं। यह  प्रश्नावली 18 से 55 वर्ष के छात्रों   पर प्रशासित की जाती है। 

 संवेगात्मक बुद्धि (Emotional Intelligence)


संवेगात्मक बुद्धि की सर्वप्रथम अवधारणा - जॉन मेयर एवं पीटर सेलोवी 1990 ई० में अमेरिका में दी थी। 
पुस्तक - What is E.I.
सफलता में योगदान - 80% Emotional Intelligence & 20% Intelligence Qoutient (IQ)
संवेगात्मक बुद्धि के प्रतिपादक डैनियल गोलेमैन (1995 अमेरिका), पुस्तक- E.Q. - Why it better than I.Q.
मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्ति की ज्ञानात्मक (Cognitive) बुद्धि के स्वरूप को जानने के लिए 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ में ही प्रयास जारी कर दिये थे तथा इसके मापन हेतु विभिन्न परीक्षणों तथा बुद्धि-लब्धि की अवधारणा का प्रतिपादन किया। थार्नडाइक ने सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence) को बुद्धि घटक (Component) के रूप में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया। इसके बाद 1983 में हावर्ड गार्डनर ने अपने बहु-बुद्धि सिद्धान्त में अन्तर्वैयक्तिक तथा अन्तः वैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal and Intra-personal Intelligence) का उल्लेख किया। बुद्धि के ये कारक, व्यक्ति को अपने तथा दूसरे के भावों को समझने एवं अन्य व्यक्तियों से उनकी संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए अन्तःक्रिया करने के लिए नियन्त्रित तथा निर्देशित करते हैं। धीरे-धीरे संवेगों से सम्बन्धित बुद्धि की अवधारणा ने संवेगात्मक बुद्धि के स्वतन्त्र अस्तित्व को जन्म दिया। अब तो स्थिति यहाँ तक आ पहुँची है कि व्यावहारिक जीवन की सफलता में बुद्धि की अपेक्षा संवेगात्मक बुद्धि को अधिक महत्वपूर्ण माना जाने लगा है। 19वीं सदी के 80 के दशक में पीटर सैलोवे तथा जान मेयर ने संवेगात्मक बुद्धि को परिभाषित किया। उनके अनुसार बुद्धि एक सीमा तक सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence) का ही अनुवर्ग (Section) है जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी तथा दूसरों की भावनाओं एवं संवेगों को जानने, समझने तथा परिस्थिति के अनुसार विचार करके व्यवहार को निर्देशित एवं संचालित करने में सक्षम होता है। सैलोवे के बाद 1995 में डेनियल गोलमैन ने इमोशनल इन्टेलिजेंस (Emotional Intelligence) नामक पुस्तक लिखकर मनोवैज्ञानिकों को संवेगात्मक बुद्धि के विषय में गम्भीरता से अध्ययन करने के प्रेरित किया।

संवेगात्मक बुद्धि का अर्थ (Meaning of Emotional Intelligence)

संवेगात्मक बुद्धि दो प्रत्ययों से मिलकर बना है संवेग और बुद्धि। संवेग का अर्थ है उद्वेलन की अवस्था (state of excitement) एवं बुद्धि का अर्थ है विवेकपूर्ण चिन्तन की योग्यता (ability to think rationally)। इस प्रकार संवेगात्मक बुद्धि एक आन्तरिक योग्यता होती है जिसके द्वारा व्यक्ति में संवेगों को महसूस करने, समझने एवं उनका प्रभावपूर्ण नियन्त्रण करने की क्षमता का विकास होता है। दूसरे शब्दों में, संवेगात्मक बुद्धि (Emotinal Intelligence) स्वयं की एवं दूसरों की भावनाओं अथवा संवेगों को समझने, व्यक्त करने और नियंत्रित करने की योग्यता है। 

अपनी भावनाओं, संवेगों को समझना उनका उचित तरह से प्रबंधन करना ही भावनात्मक समझ है। व्यक्ति अपनी 'भावनात्मक समझ ' का उपयोग कर सामने वाले व्यक्ति से ज्यादा अच्छी तरह से संवाद कर सकता है और ज्यादा बेहतर परिणाम पा सकता है।

गोलमैन के अनुसार - संवेगात्मक बुद्धि व्यक्ति के स्वयं  एवं दूसरों के संवेगों को पहचानने की वह क्षमता है जो हमें अभिप्रेरित कर सकने और हमारे संवेगों को स्वयं में और अपने संबंधों में पाए जाने वाले संवेगों का  भली प्रकार से प्रबंधन  करते हैं। (Emotional intelligence is the ability to recognize one's self and the emotions of others that can motivate us and manage our emotions well within ourselves and in our relationships.- Goleman)

सैलोवे एवं मैयर के अनुसार - संवेगात्मक बुद्धि, संवेगों का प्रत्यक्षीकरण करने, उन्हें समझने, उसका प्रबन्धन करने एवं उन्हें प्रयोग में लाने की योग्यता है। (Emotional intelligence is the ability to perceive, understand, manage and use emotions.- Sailove & Mayer)

बार के अनुसार- संवेगात्मक बुद्धि व्यक्ति की वह अन्तःवैयक्तिक योग्यता है जिसके द्वारा वह अपनी शक्ति तथा कमजोरियों को जानने और स्वयं की भावनाओं और विचारों को बिना नुकसान पहुँचाये व्यक्त करने में स्वयं को सदैव जागरूक रखती है। (Emotional intelligence is that one's intrapersonal ability to be aware of oneself to understand one's strength and weakness and to express one's feelings and thoughts non-destructively- Bar)

बेरन के अनुसार- "संवेगात्मक बुद्धि व्यक्ति की सामर्थ्य, योग्यता और भावात्मक पक्ष की वह श्रृंखला है जो जीवन में अनुभव किए जाने वाली मांग एवं दवावों से संघर्ष करने की क्षमता को प्रभावित करती है।" (Emotional Intelligence is a series of competency, capability and effective domain which affect the ability to succeed in fighting with the demand and various pressure forms. - Baron)

संवेगात्मक बुद्धि-

  • स्वयं को समझना, स्वयं के उद्देश्य, अनुक्रियाओं, भावनाओं और व्यवहार आदि को समझना।
  • दूसरे व्यक्तियों की भावनाएँ तथा संवेगों को समझना।
  • स्वयं की तथा दूसरों की भावनाओं तथा संवेगों को समझकर उनका इस प्रकार व्यवस्थापन करना कि उनकी अभिव्यक्ति में स्वयं का कोई नुकसान न हो और दूसरों को भी प्रभावित करें।


संवेगात्मक बुद्धि के घटक 

(Components of Emotional Intelligence)



गोलमेन (Goleman) ने संवेगात्मक बुद्धि के पाँच घटकों का उल्लेख किया है- 

1. स्व-जागरूकता (Self-awareness)- यह बुद्धि व्यक्ति को स्वयं के लिए जागरूक बनाती है और स्वयं के संवेगों को जानने,  किसी समय पर उपस्थित भावनाओं को पहचानने और उनका विवेचन करने में सहायक है।

2. स्वप्रेरणा (Self-Motivation) - स्वयं की भावनाओं को वांछित लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में अभिप्रेरित करना, नकारात्मक आवेगों को नियिन्त्रत करते हुए वांछित परिणाम प्राप्त करना, स्वप्रेरणा की मुख्य विशेषताएँ हैं। ऐसा व्यक्ति  लब्धि परीक्षणों में अधिक अंक प्राप्त करने में सफल रहता है।

3. परानुभूति (Empathy)- दूसरे की भावनाओं तथा इच्छाओं को समझना तथा उनके प्रति संवेदना प्रकट करना और यह अनुमान लगाना कि दूसरे लोग कैसा अनुभव कर रहे हैं, परानुभूति के लक्षण हैं। इस प्रकार की बुद्धि वाला व्यक्ति दूसरों के लिए प्रेरणा तथा प्रसन्नता का स्रोत होता है।

4. सामाजिक प्रबन्धन (Social Skills/ Management)— इसके अन्तर्गत सामाजिक परिस्थितियों का आकलन करके दूसरे लोगों के साथ प्रभावशाली ढंग से अन्तःक्रिया करके संवेगात्मक सम्बन्धों को जोड़ना आता है। इस प्रकार की बुद्धि वाला व्यक्ति अधिक लोकप्रिय एव लोकतान्त्रिक होता है तथा वह समूह में सहयोगात्मक वातावरण स्थापित करने में सक्षम होता है।

5. स्व-नियमन (Self -regulations)- स्वयं के संवेगों को भी तात्कालिक परिस्थिति के सापेक्ष नियंत्रित एवं व्यवस्थित करना तथा समस्या समाधान हेतु अवरोधों को नकारते हुए उनको सही दिशा प्रदान करते हुए वांछित (desired) प्रतिक्रिया करना। इस प्रकार की बुद्धि वाला व्यक्ति अपने परिवार, स्कूल आदि के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति (Attitude) रखता है तथा दबाव (Stress) को अन्य लोगों की अपेक्षा सरलता से नियंत्रित (Control) करता है।


संवेगात्मक बुद्धि की विशेषताएँ (Characteristic of Emotional Intelligence)


1. संवेगात्मक बुद्धि व्यक्ति की वह क्षमता है जो उसे अपने तथा दूसरों के संवेगों तथा मनोभावों को समझने एवं उनका इस प्रकार से व्यवस्थापन करने में सहायक है जिससे संवेगों की अभिव्यक्ति द्वारा किसी प्रकार की हानि न पहुँचे।

2. संवेगात्मक बुद्धि के द्वारा व्यक्ति अपने संवेगों पर नियन्त्रण करके दूसरों के साथ प्रभावशाली ढंग से सम्बन्ध स्थापित करने में सक्षम होता है।

3. संवेगात्मक बुद्धि व्यवहारिक जीवन में सफलता प्राप्त करने में सामान्य बुद्धि की अपेक्षा अधिक प्रभावी एवं सहायक है।

4. संवेगात्मक बुद्धि जन्मजात होती है लेकिन इसके विकास में व्यक्ति के अनुभव तथा परिपक्वता की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

5. संवेगात्मक बुद्धि में वातावरणीय परिस्थितियों के अनुरूप संवेगों की अंतःक्रिया में परिवर्तन होता रहता है। 

6. संवेगात्मक बुद्धि में अनेक तत्व समाहित हैं तथा भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न प्रकार की संवेगात्मक बुद्धि होती है।


(3) सामग्री (Tools):- Dr. Arun Kumar Sinha एवं Dr. Shruti Narain द्वारा निर्मित प्रश्नावली, पेपर, पेंसिल, स्टॉपवॉच आदि।


(4) प्रतिदर्श/प्रयोज्य परिचय (Sample):- 

प्रयोज्य का नाम:-     ABC

पिता का नाम :-.      XYZ

लिंग : ................................

आयु: .............................

शैक्षिक योग्यता : ..............,...............

संस्था का नाम: ..........................


(5) नियंत्रण (Control) : -

  • परीक्षण के दौरान कमरे में प्रकाश की उचित व्यवस्था की गई।
  • कमरे का वातावरण शांत रखा गया।
  • प्रयोज्य के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का उचित प्रकार से ध्यान रखा गया।
  • बैठने की उचित व्यवस्था की गई।
  • ...............

(6) निर्देश (Instructions):- प्रयोज्य को उचित स्थान पर बैठाने के पश्चात् उसके साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार स्थापित किया गया। उसके बाद परीक्षण से सम्बन्धित निर्देश दिए गए-
1.  परीक्षण के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है परन्तु अपना कार्य 15 से 20 मिनट में कर सकते हैं। 
2 . सभी प्रश्नों के उत्तर देने हैं कोई भी प्रश्न छोड़ा नहीं जायेगा। 
3. प्रत्येक प्रश्न के सामने दो विकल्प दिए गए हैं - हाँ , नहीं।  सही विकल्प का चयन करें। 

(7) परीक्षण प्रक्रिया (Test Procedure):-

प्रयोज्य को निर्देश देने के बाद परीक्षण प्रक्रिया आरंभ की गई। इस दौरान  प्रयोज्य का निरीक्षण किया गया। प्रयोज्य को कोई समस्या नहीं हुई और समय पर प्रश्नों के उत्तर दिए।  

(8) प्रदत संग्रह एवं परिणाम (Data Collection & Result):-

संवेगात्मक  बुद्धि  मापनी  द्वारा प्रयोज्य का परीक्षण लिया गया।  प्रत्येक सकारात्मक प्रश्न के हाँ  के लिए 1 अंक तथा नहीं के लिए 0 तथा नकारात्मक  प्रश्न के हाँ के लिए अंक तथा नहीं के लिए 1  दिया गया।  संवेगात्मक बुद्धि  मापनी की चार विमाएँ हैं - भावनाओं को समझना (Understanding Emotions) , प्रेरणा को समझना (Understanding Motivation) , सहानुभूति (Empathy)  ,  संबंधों को संभालना (Handling relation)। इसके आधार पर प्रयोज्य द्वारा दिए उत्तरों का मूल्यांकन किया गया। 

फलांकन तालिका 

(9) व्याख्या एवं निष्कर्ष (Discussion and Conclusion):- 

इस परीक्षण प्रक्रिया में प्रयोज्य पर Dr. Arun Kumar Sinha एवं Dr. Shruti Narain द्वारा निर्मित  संवेगात्मक बुद्धि प्रश्नावली प्रयोज्य पर प्रशासित किया गया। इससे हमे यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ कि प्रयोज्य की संवेगात्मक बुद्धि  ............................ स्तर   प्राप्त हुआ। 


(10) संदर्भ ग्रंथ सूची (Reference):-





Wednesday, June 21, 2023

समस्या समाधान योग्यता परीक्षण (Problem Solving Ability Test)

समस्या समाधान योग्यता परीक्षण (Problem Solving Ability Test)

(1) उद्देश्य (Objective):-  Dr. L. N. Dubey द्वारा निर्मित मापनी के माध्यम से प्रयोज्य की समस्या समाधान योग्यता का मापन  करना।

(2) परीक्षण परिचय (Introduction):- यह प्रश्नावली Dr. L. N. Dubey  द्वारा निर्मित की गई है। इस मापनी में कुल 20 प्रश्न हैं। जिसके लिए कुल समय 20 मिनट हैं यह प्रश्नावली 14 वर्ष से ऊपर  के बालकों  पर प्रशासित की जाती है।

समस्या समाधान  का अर्थ (Meaning of  Problem Solving)

समस्या समाधान किसी लक्ष्य की प्राप्ति में बाधा डालने वाली कठिनाइयों पर विजय पाने की प्रक्रिया है। यह बाधाओं के बावजूद सामंजस्य करने की विधि है। - स्किनर 

"समस्या समाधान" का अर्थ होता है- किसी समस्या को हल करना या उसे सुलझाना। जब हमें किसी चुनौती या परेशानी का सामना करना होता है, तो हम समस्या समाधान की तलाश में होते हैं। इसका  तात्पर्य है कि हम समस्या के कारणों को समझते हैं, उन्हें विश्लेषण करते हैं और उनका हल ढूंढ़ते हैं ताकि हम समस्या को पूरी तरह से सुलझा सकें।

समस्या समाधान की प्रक्रिया अक्सर समय, ज्ञान, अनुभव और नवीनता की आवश्यकता पर निर्भर करती है। समस्याओं के समाधान के लिए विभिन्न तकनीकी, मानसिक और सामाजिक उपाय हो सकते हैं। यह समाधान व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामुदायिक  स्तर पर हो सकता है।

समस्या समाधान का प्रक्रियात्मक चरणों में समावेश हो सकते हैं:

  1. समस्या की  पहचान करना और उसकी समझ करना।
  2. समस्या के कारणों की तलाश करना और उन्हें संग्रहीत करना।
  3. विभिन्न समाधान विकल्पों को विचार करना और उनकी व्याख्या करना।
  4. एक समाधान का चयन करना और उसे कार्यान्वित करना।
  5. समाधान के परिणामों का मूल्यांकन करना और उनका आकलन करना।
  6. आवश्यक होने पर समाधान को संशोधित और समायोजित करना।

समस्या समाधान  की विधियां  (Methods of Problem Solving)

1. प्रयास एवं त्रुटि विधि (Trial & Error Method) – इस विधि का प्रयोग निम्न और उच्च कोटि के प्राणियों द्वारा किया जाता है। इस सम्बन्ध में थार्नडाइक (Thorndike) का बिल्ली पर किया जाने वाला प्रयोग उल्लेखनीय है। बिल्ली अनेक गलतियाँ करके अन्त में पिंजड़े से बाहर निकलना सीख गई।

2. वाक्यात्मक भाषा विधि (Sentence Language Method)- इस विधि का प्रयोग मनुष्य के द्वारा बहुत लम्बे समय से किया जा रहा है। वह पूरे वाक्य बोलकर अपनी अनेक समस्याओं का समाधान करता है और फलस्वरूप प्रगति करता चला आ रहा है। इसलिये, वाक्यात्मक भाषा को सारी सभ्यता का आधार माना जाता है।

3. अनसीखी विधि (Unlearned Method) – इस विधि का प्रयोग निम्न कोटि के प्राणियों द्वारा किया जाता है। उदाहरणार्थ, मधुमक्खियों की भोजन की इच्छा, फूलों का रस चूसने से और खतरे से बचने की इच्छा, शत्रु को डंक मारने से पूरी हो जाती है।

4. वैज्ञानिक विधि (Scientific Method) – आज का प्रगतिशील मानव अपनी समस्या का समाधान करने के लिये वैज्ञानिक विधि का प्रयोग करता है। हम इसका विस्तृत वर्णन कर रहे है।

5. अन्तर्दृष्टि विधि (Insight Method)- इस विधि का प्रयोग उच्च कोटि के प्राणियों द्वारा किया जाता है। इस सम्बन्ध में कोहलर (Kohler) का वनमानुषों पर किया जाने वाला प्रयोग उल्लेखनीय है।

(3) सामग्री (Tools):- Dr. L. N. Dubey द्वारा निर्मित प्रश्नावली, पेपर, पेंसिल, स्टॉपवॉच आदि।

(4) प्रतिदर्श/प्रयोज्य परिचय (Sample):- 

प्रयोज्य का नाम:-     ABC

पिता का नाम :-.      XYZ

लिंग : ................................

आयु: .............................

योग्यता : ..............,...............

संस्था का नाम: ..........................

(5) नियंत्रण (Control) : -

  • परीक्षण के दौरान कमरे में प्रकाश की उचित व्यवस्था की गई।
  • कमरे का वातावरण शांत रखा गया।
  • प्रयोज्य के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का उचित प्रकार से ध्यान रखा गया।
  • बैठने की उचित व्यवस्था की गई।
  • ...............


(6) निर्देश (Instructions):- प्रयोज्य को उचित स्थान पर बैठाने के पश्चात् उसके साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार स्थापित किया गया और प्रयोज्य को सामान्य मानसिक स्थिति में लाया गया।  उसके बाद परीक्षण से सम्बन्धित निर्देश दिए गए-

1. इस मापनी में कुल २० प्रश्न हैं जिनके लिए समय सीमा २० मिनट है। 

2. प्रत्येक समस्या प्रश्न एवं उत्तर विकल्पों को ध्यानपूर्वक पढ़े तथा जो उत्तर विकल्प सही लगे उससे सम्बंधित बॉक्स में  एक खाने में सही का निशान लगाना है ।

2. सभी प्रश्नों के उत्तर देना आवश्यक है। जब तक परीक्षण को प्रारंभ करने के लिए नही कहा जाय तब तक किसी भी कथन पर निशान न लगाएं।

3. आपको किसी भी कथन का उत्तर किसी दूसरे व्यक्ति से नही पूछना है।

(7) परीक्षण प्रक्रिया (Test Procedure):-

प्रयोज्य को निर्देश देने के बाद परीक्षण प्रक्रिया आरंभ की गई। इस दौरान प्रयोगकर्ता द्वारा प्रयोज्य का निरीक्षण किया गया। प्रयोज्य इस प्रक्रिया पहले घबराया। फिर प्रयोगकर्ता पुनः उसे निर्देश दिए गए और उसे सामान्य मानसिक स्थिति में लाया गया। प्रयोज्य द्वारा समय पर प्रश्नों के उत्तर दिए गए।

(8) प्रदत संग्रह एवं परिणाम (Data Collection & Result):-

परीक्षण प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद प्रयोगकर्ता द्वारा प्रयोज्य के उत्तरों का अंकन किया गया। सही उत्तर के लिए 1 अंक तथा गलत के लिए 0 अंक दिया  गया। 

फलांकन तालिका


(9) व्याख्या एवं निष्कर्ष (Discussion and Conclusion):- 

इस परीक्षण प्रक्रिया में प्रयोज्य पर Dr. L. N. Dubey द्वारा निर्मित समस्या समाधान योग्यता मापनी  को  प्रशासित किया गया। इससे यह पता चलता है  कि प्रयोज्य का  .......................... की विमा ......... है। .................................................

(10) संदर्भ ग्रंथ सूची (Reference):-




Friday, November 18, 2022

Eysenck Personality Questionnaire (EPQ)

आईजेंक व्यक्तित्व प्रश्नावली (Eysenck Personality Questionnaire, EPQ)

(1) उद्देश्य (Objective):- आईजेंक व्यक्तित्व प्रश्नावली के माध्यम से प्रयोज्य के व्यक्तित्व का अध्ययन करना।

(2) परीक्षण परिचय (Introduction):- यह प्रश्नावली Dr. B. Dey एवं Dr. R. Thakur द्वारा निर्मित की गई है। इस प्रश्नावली में 72 प्रश्न हैं। यह  प्रश्नावली प्रौढ़ (Adulthood) (18-55 Years) व्यक्तियों पर प्रशासित की जाती है।

व्यक्तित्व का अर्थ (Meaning of Personality)

1. शाब्दिक अर्थ (Word's Meaning)- व्यक्तित्व अंग्रेजी के पर्सनैलिटी (Personality) का हिंदी रूपांतरण है। यह शब्द लैटिन भाषा के परसोना (Persona) शब्द से बना है। परसोना का अर्थ है मुखौटा अर्थात् नकली चेहरा। पाश्चात्य देशों में व्यक्तित्व वे व्यक्ति जो नाटक करते समय जो वेश-भूषा धारण करते थे और जिस पात्र का अभिनय करते थे उनकी वही पर्सनैलिटी मानी जाती थी। 

2. सामान्य दृष्टिकोण से अर्थ (Meaning from the General point of view)- आम तौर पर व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के बाह्य स्वरूप तथा उन गुणों से लिया जाता है जिनके द्वारा एक व्यक्ति दूसरों को अपनी ओर आकर्षित एवं प्रभावित करता है। 

3. व्यवहार के दृष्टिकोण से अर्थ (Meaning from the point of view of behavior)- “व्यक्तित्व व्यक्ति के संगठित व्यवहार का सम्पूर्ण चित्र होता है।' (''A man's personality is the total picture of his organised behaviour.") 

“किसी व्यक्ति के व्यवहार का सम्पूर्ण गुण व्यक्तित्व है।" 

4. दार्शनिक-दृष्टिकोण से अर्थ -- दर्शनशास्त्र के अनुसार, “व्यक्तित्व आत्मज्ञान का ही दूसरा नाम है, यह पूर्णता का आदर्श है।"

5. सामाजिक दृष्टिकोण से अर्थ- “व्यक्तित्व उन सब तत्वों का संगठन है जिनके द्वारा व्यक्ति को समाज में कोई स्थान प्राप्त होता है। इसलिए हम व्यक्तित्व को सामाजिक प्रवाह कह सकते हैं।"

6. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से अर्थ- इस दृष्टिकोण से व्यक्तित्व की व्याख्या में वंशानुक्रम और वातावरण दोनों को महत्व प्रदान किया गया है। अर्थात व्यक्ति में आन्तरिक और बाह्य जितनी भी विशेषताएँ, योग्यताएँ और विलक्षणताएँ होती हैं, उन सबका समन्वित या संगठित (Integrated) रूप व्यक्तित्व है। 


व्यक्तित्व की परिभाषाएँ 

(Definitions of Personality)

वेलेंटाइन (Valentine) के अनुसार- व्यक्तित्व जन्मजात और अर्जित प्रवृत्तियों का योग है। (Personality is the sum total of innate and acquired dispositions.)

मार्टन प्रिन्स (Morton Prince) के अनुसार- व्यक्तित्व, व्यक्ति के समस्त जैविक जन्मजात संस्थानों, आवेगों, प्रवृत्तियों, अभिक्षमताओं एवं मूल प्रवृत्तियों और अनुभवों के द्वारा अर्जित संस्कारों एवं प्रवृत्तियों का योग है। (Personality is the sum total of the biological innate dispositions, impulses, tendencies, aptitudes and instincts of the individual and the dispositions and tendencies acqured by experience.)

मैकरडी (Mac Curdy) के अनुसार- व्यक्तित्व प्रतिरूपों (रुचियों) का वह समाकलन है जो व्यक्ति के व्यवहार को एक विशेष प्रकार का वैयष्टिक रूप प्रदान करता है। (Personality is an integration of patterns (interests) which gives a peculiar individual trend to the behaviour of the organism.)

ऑलपोर्ट (G.W. Allport) के अनुसार- व्यक्तित्व, व्यक्ति के अन्दर उन मनोशारीरिक संस्थानों का गत्यात्मक संगठन है, जो वातावरण के साथ उसका अनूठा समायोजन स्थापित करता है (Personality is the dynamic organization within the individual of those psycho-physical systems that determine his unique adjustment to his environment.)

गिलफोर्ड (Guilford) के अनुसार- व्यक्तित्व व्यक्ति के गुणों का समन्वित रूप है।

 व्यक्तित्व के प्रकार (Types  of Personality)

 विभिन्न मनोवैज्ञानिकों, विद्वानों द्वारा  व्यक्तित्व के  अलग - अलग वर्गीकरण  किये गए हैं  -

1. स्वभाव के आधार पर वर्गीकरण (Classification according to temperaments)- 

हिप्पोक्रेटस् (Hyppocrates) एवं  गेलेन (Gallen) ने व्यक्तियों को स्वभाव के आधार पर चार भागों में विभक्त किया है-

(i)  उग्र स्वभावी (Chalenic)-  इस वर्ग में गैलेन ने शक्तिशाली एवं उग्र स्वभाव वाले व्यक्तियों को रखा है। इस वर्ग के व्यक्तियों को क्रोध बहुत शीघ्र आता है।

(ii) चिन्ताग्रस्त (Melancholy)-  इस वर्ग में गेलेन ने चिन्ता से ग्रस्त रहने वाले व्यक्तियों को रखा है। इस वर्ग के व्यक्ति प्रायः उदास रहते हैं और निराशावादी होते हैं।

(iii) निरुत्साही (Phlegmatic)-  इस वर्ग में गेलेन ने उत्साहहीन व्यक्तियों को रखा है। इस वर्ग के व्यक्ति प्रायः शान्तिप्रिय और आलसी  होते हैं।

(iv) उत्साही (Sanguine)-  इस वर्ग में गेलेन ने उत्साह से पूर्ण व्यक्तियों को रखा है। इस वर्ग के व्यक्ति आशावादी और क्रियाशील होते हैं। 


2. शारीरिक रचना के अनुसार वर्गीकरण (Classification according to physical structure) - 

  • मनोवैज्ञानिक शेल्डन (W.H. Sheldon) ने मनुष्य की शरीर रचना और उसके व्यक्तित्व के बीच सम्बन्धों का अध्ययन करके व्यक्तित्व के तीन प्रकार बताये हैं -

(i) गोलाकार (Endomorphic)-   इस आकार के व्यक्ति अधिक मोटे , गोल,  कोमल और स्थूल शरीर के होते हैं।यह   आराम पसन्द, शौकीन मिजाज, भोजनप्रिय और प्रसन्नचित प्रकृति के होते हैं। साथ ही परम्परावादी, सहनशील और सामाजिक होते हैं। ये परेशानी आने पर जल्दी घबरा  जाते हैं।

(ii) आयताकार (Mesomorphic)-   इस आकार के व्यक्ति जोशीले, रोमांचप्रिय, प्रभुत्ववादी और उद्देश्य केन्द्रित होते हैं। साथ ही क्रोधी प्रकृति के होते हैं। इनकी रीड की हड्डी मजबूत होती है तथा किसी परेशानी के आने पर ये उसका साहस के साथ समाधान करने का प्रयास करते हैं।

(iii) लम्बाकार (Ectomorphic)-  ऐसे व्यक्ति दुबले - पतले , कोमल , कमजोर शरीर वाले होते है। इस आकार के व्यक्ति शान्तिप्रिय एवं एकान्तप्रिय होते हैं। ये अल्प निद्रा वाले होते हैं और शीघ्र थक जाने वाले होते हैं। साथ ही निष्ठुर प्रकृति के होते हैं। इनकी रीड की हड्डी कमजोर होती है तथा ये परेशानी आने पर अन्दर ही अन्दर कुढ़ते रहते हैं और संकोचवश अपनी बात दूसरों के सामने नहीं बताते हैं।

मनोवैज्ञनिक कैचमेर  (Kretschmer)  ने व्यक्तित्व के तीन प्रकार बताये है -

(i) निबलकाय (Asthenic)-  इस प्रकार का व्यक्ति लम्बा लेकिन दुबला होता है उसके चेहरे की बनावट चपटी होती है यह अन्य लोगों से अलग रहना पसन्द करता है। यह स्वभाव से दूसरों की आलोचना करने में आनन्द लेता है लेकिन अपनी आलोचना पसन्द नहीं करता है।

(ii) सुडौलकाय  (Athletic) - इस प्रकार के व्यक्ति शरीर से हृष्ट-पुष्ट और स्वस्थ होते हैं उनके शरीर का गठन सन्तुलित तथा सुदृढ़ होता है इनमें सामंजस्य की क्षमता अधिक होती है। 

(iii) गोलकाय  (Pyknic) - इस प्रकार के व्यक्ति बौने  तथा गोल-मटोल होते हैं। इनका चेहरा गोल तथा पेट बड़ा होता है। ये आराम तलब तथा प्रसन्नचित्त प्रकृति के होते हैं।

3. मनोवैज्ञानिक गुणों के आधार पर (On the basis of psychological characteristics)— 

 मनोवैज्ञानिक जुंग (Jung) ने मनुष्य की मानसिक प्रकृति और उसके व्यक्तित्व के बीच सम्बन्धों का अध्ययन करके व्यक्तित्व के दो प्रकार बताये हैं -

(i) बहिर्मुखी (Extrovert) -   इस प्रकार के व्यक्ति सामाजिक प्रवृत्ति के होते हैं। ये अन्य व्यक्तियों से मिलना-जुलना पसन्द करते हैं और समाज के लिए उपयोगी होते हैं। ये आदर्शवादी (Idealistic) कम और यथार्थवादी (Realistic) अधिक होते हैं। ये आशावादी (Optimistic) होते हैं और सदैव प्रसन्न रहते हैं। ये खाने-पीने और खिलाने-पिलाने में विश्वास करते हैं और मस्त रहते हैं। इनमे आत्मप्रदर्शन की भावना अधिक होती है।   इस प्रकार के व्यक्ति अधिकतर सामाजिक, राजनैतिक या व्यापारिक नेता, अभिनेता, खिलाड़ी आदि बनते हैं । 

(ii) अन्तर्मुखी (Introvert) - इस प्रकार के व्यक्ति एकान्त प्रिय होते हैं, दूसरों से मिलना-जुलना कम पसन्द करते हैं। और कुछ ही लोगों से मित्रता करते हैं। ये प्रायः रूढ़िवादी (Conservative) प्रकृति के होते हैं और पुराने रीति-रिवाजों को आदर देते हैं। ये अच्छे लेखक होते हैं परन्तु अच्छे वक्ता नहीं होते । ये अध्यनशील एवं मननशील होते हैं ।  प्रायः ऐसे व्यक्ति किताबी कीड़े होते हैं और आगे चलकर वैज्ञानिक , दार्शनिक और अन्वेषक बनते हैं । 

कुछ मनोवैज्ञानिकों ने इस वर्गीकरण की आलोचना की और कहा की अधिकतर लोगों में अंतर्मुखी तथा बहुर्मुखी दोनों प्रकार के गुण पाए जाते हैं ।  वर्तमान में इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्तित्व को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है । 

(iii) उभयमुखी (Ambivert)- इस प्रकार का व्यक्ति अन्तर्मुखी गुणों को विचार में ला सकता है और बहिर्मुखी गुणों को कार्य रूप में स्थान दे सकता है। उदा०-  एक व्यक्ति अच्छा लेखक और वक्ता दोनों हो सकता है, एक व्यक्ति सामाजिक व्यवहार प्रदर्शित करता है किन्तु वह कोई कार्य अकेले ही करना पसन्द करता है। उभयमुखी व्यक्ति अपना तथा समाज दोनों का लाभ देखता है।

4. समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के आधार पर वर्गीकरण (Classification on the basis of sociological point of view) 

मनोवैज्ञानिक  स्प्रेंजर (Spranger) ने   अपनी पुस्तक (Type of Men) में व्यक्तित्व को  6 वर्गों में विभाजित किया है -

(i) सैद्धान्तिक (Theoretical)-  इस वर्ग में स्प्रेन्जर ने उन व्यक्तियों को रखा है जो सदैव ज्ञान प्राप्त करने के इच्छुक रहते हैं. सिद्धान्तों को महत्त्व देते हैं और कष्ट सहनकर भी आदर्शों का पालन करते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः अव्यावहारिक होते हैं । दार्शनिक , समाज सुधारक इसी कोटि में आते हैं 

(ii) आर्थिक (Economical)-  इस वर्ग में स्प्रेन्जर ने उन व्यक्तियों को रखा है जो भौतिक सुखों के इच्छुक होते हैं, धन को अधिक महत्त्व देते हैं और धनार्जन के लिए कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः व्यावहारिक होते हैं। इस श्रेणी में व्यापारी आते हैं 

(iii) सामाजिक (Social) - इस वर्ग में स्प्रेन्जर ने उन व्यक्तियों को रखा है जो समाज और सामाजिक सम्बन्धों को अधिक महत्त्व देते हैं दयालु, त्यागी और परोपकारी होते हैं, समाज सेवक एवं समाज सुधारक होते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत अधिक व्यवहारकुशल होते हैं।

(iv) राजनैतिक (Political)- इस वर्ग में स्प्रेन्जर ने उन व्यक्तियों को रखा है जो राजकार्य में रुचि लेते हैं, राजसत्ता से जुड़े रहना चाहते हैं और राज्य में अपनी भागीदारी चाहते हैं। ऐसे व्यक्ति राजनैतिक दाँव-पेंच में बड़े माहिर होते हैं।

(v) धार्मिक (Religious) - इस वर्ग में स्प्रेन्जर ने उन व्यक्तियों को रखा है जो ईश्वर में विश्वास करते हैं, दैवीय प्रकोप से डरते हैं और आध्यात्मिक मूल्यों का पालन करते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः आत्मसन्तोषी एवं परोपकारी होते हैं। जैसे - साधु , संत , योगी, दयालु और धर्मात्मा व्यक्ति 

(vi) सौन्दर्यात्मक (Aesthetic)-  इस वर्ग में स्प्रेन्जर ने उन व्यक्तियों को रखा है जो सौन्दर्य प्रिय होते हैं। ऐसे व्यक्तियों का झुकाव प्रायः कला, संगीत एवं नृत्य आदि की ओर अधिक होता है।

आईजेंक के अनुसार - आईजेंक ने व्यक्तित्व के तीन आयाम बताए-

(1) अंतर्मुखता - बहिर्मुखता (Introversion - Extroversion):- 

अंतर्मुखता- आसानी से प्रभावित, निराशावादी, चिंताग्रस्त, कम उत्तेजित, कम महत्वाकांक्षी, गंभीर।

बहिर्मुखता- आवेगशील, परिवर्तनशील, क्रियाशील, सामाजिक आदि।

(2) स्नायुविकता (Neurocitism):- मनमौजी (Moody)अति संवेदनशील, बैचेन, उग्र स्वभाव, करुणामय एवं दुश्चिंता से ग्रस्त।

(3) मनोविकारिता (Psychoticism):- एकांतप्रिय, कम क्रियाशील, अहंकारी, सामाजिक मर्यादाओं का विरोधी होता है। 

आइजेंक के अनुसार अंतर्मुखी, बहिर्मुखी तथा स्नायुविकता के कारण व्यक्तियों में जो विभिन्नताएं पाई जाती हैं उनमें से 75% वंशानुक्रम से निर्धारित होती हैं।

(3) सामग्री (Tools):- Dr. B. Dey तथा Dr. R. Thakur द्वारा निर्मित प्रश्नावली, पेपर, पेंसिल, स्टॉपवॉच आदि।

(4) प्रतिदर्श/प्रयोज्य परिचय (Sample):- 

प्रयोज्य का नाम:-     ABC

पिता का नाम :-.      XYZ

लिंग : ................................

आयु: .............................

योग्यता : ..............,...............

संस्था का नाम: ..........................

(5) नियंत्रण (Control) : -

  • परीक्षण के दौरान कमरे में प्रकाश की उचित व्यवस्था की गई।
  • कमरे का वातावरण शांत रखा गया।
  • प्रयोज्य के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का उचित प्रकार से ध्यान रखा गया।
  • बैठने की उचित व्यवस्था की गई।
  • ...............


(6) निर्देश (Instructions):- प्रयोज्य को उचित स्थान पर बैठाने के पश्चात् उसके साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार स्थापित किया गया। उसके बाद परीक्षण से सम्बन्धित निर्देश दिए गए-

1. प्रत्येक प्रश्न के आगे तीन विकल्प दिए गए हैं - हां, अनिश्चित तथा नहीं । इनमें किसी एक खाने में सही का निशान लगाएं।

2. सभी प्रश्नों के उत्तर देना आवश्यक है। जब तक परीक्षण को प्रारंभ करने के लिए नही कहा जाय तब तक किसी भी कथन पर निशान न लगाएं।

3. आपको किसी भी कथन का उत्तर किसी दूसरे व्यक्ति से नही पूछना है।


(7) परीक्षण प्रक्रिया (Test Procedure):-

प्रयोज्य को निर्देश देने के बाद परीक्षण प्रक्रिया आरंभ की गई। इस दौरान प्रयोगकर्ता द्वारा प्रयोज्य का निरीक्षण किया गया। प्रयोज्य इस प्रक्रिया पहले घबराया। फिर प्रयोगकर्ता पुनः उसे निर्देश दिए गए और उसे सामान्य मानसिक स्थिति में लाया गया। प्रयोज्य द्वारा समय पर प्रश्नों के उत्तर दिए गए।

(8) प्रदत संग्रह एवं परिणाम (Data Collection & Result):-

परीक्षण प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद प्रयोगकर्ता द्वारा प्रयोज्य के उत्तरों का अंकन किया गया।

तालिका- 1

तालिका - 2

(9) व्याख्या एवं निष्कर्ष (Discussion and Conclusion):- 

Dr. B. Dey  एवं Dr. R. Thakur द्वारा निर्मित प्रश्नावली प्रयोज्य पर प्रशासित किया गया। इससे यह पता चला कि प्रयोज्य की .......................... की विमा ......... है। .................................................

(10) संदर्भ ग्रंथ सूची (Reference):-

QUESTIONNAIRE

https://drive.google.com/drive/folders/1GkgaKQ3jMu1hA1BnqBZFPrKdWY5yr0gy?usp=sharing





Thursday, April 21, 2022

बुद्धि का संप्रत्यय (Concepts of Intelligence)

 

बुद्धि का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Intelligence)

 


बुद्धि शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसिस गाल्टन  ने 1885 में किया था।

बुद्धि को सामान्यतः सोचने-समझने और सीखने एवं निर्णय करने की शक्ति के रूप में देखा-समझा जाता है, परन्तु वास्तव में बुद्धि इससे कुछ अधिक होती है। बुद्धि के विषय में सर्वप्रथम भारतीय दार्शनिकों ने चिन्तन किया था। प्राचीन भारतीय दार्शनिकों के अनुसार मनुष्य के अन्तःकरण (Conscience) के तीन अंग हैं- मन, बुद्धि और अहंकार। 

इनमें मन बाह्य इन्द्रियों (External Senses)  और बुद्धि के बीच संयोजक (Coordinator) का कार्य करता है। मन के संयोग से ही बाह्य इन्द्रियाँ क्रियाशील होती हैं और मन के संयोग (Combination) से ही बुद्धि क्रियाशील होती है। इनके अनुसार इन्द्रियों से प्राप्त ज्ञान मन के द्वारा बुद्धि पर पहुँचता है। बुद्धि इनमें काट-छाँट करती है और उसे अहम् से जोड़ती है और अन्त में उसे सूक्ष्म शरीर पर पहुँचा देती है जहाँ वह संचित हो जाता है। और जब कभी प्राणी विशेष को इस ज्ञान की आवश्यकता होती है तो उसकी बुद्धि उसे सूक्ष्म शरीर से मन तक पहुँचा देती है और मन प्राणी को तदनुकूल क्रियाशील कर देता है। 

आधुनिक युग में बुद्धि के स्वरूप एवं कार्यों को समझने का प्रयास पाश्चात्य मनोवैज्ञानिकों ने शुरू किया। परन्तु  मनोविज्ञान की उत्पत्ति से लेकर आज तक बुद्धि का स्वरूप निश्चित नहीं हो पाया है। समय-समय पर जो परिभाषाएँ विद्वानों द्वारा प्रस्तुत की जाती रहीं, वह इसके एक पक्ष या विशेषता या क्षमता से सम्बन्धित थीं। अत: आज तक उपलब्ध सामग्री के आधार पर बुद्धि का स्वरूप तथा इसकी प्रकृति क्या है?  इस पर अलग -अलग विद्वानों के अलग - अलग मत है।

परिभाषायें (Definitions)

पाश्चात्य मनोवैज्ञानिक फ्रीमैन (Freeman) ने बुद्धि सम्बन्धी इन विभिन्न मतों को  चार वर्गों में विभाजित किया है-


1. सीखने की योग्यता (Ability of learning)-

भारतीय मनीषियों एवं ऋषियों ने 'ज्ञान' को जीवन का प्रमुख साधन एवं साध्य माना है। अतः जो व्यक्ति अधिक से अधिक ज्ञान ग्रहण कर लेता है; उसे समाज उच्च स्थान देता है। मनोवैज्ञानिकों ने अधिक से अधिक ज्ञान को ग्रहण करने वाली योग्यता को ही बुद्धि' माना है।

डियरबोर्न (Dearborn)  के अनुसार- "बुद्धि सीखने या अनुभव से लाभ "उठाने की क्षमता है।" (Intelligence is the capacity to learn or to profit by experience.)

फ्रांसिस गाल्टन (Fransisi Galton) के अनुसार- बुद्धि पहचानने तथा सीखने की शक्ति है। (Intelligence is power of recognition and learning.)

किंघम (Bukingham) के अनुसार-- “बुद्धि सीखने की योग्यता है । (Intelligence is the ability to learn.)

बुडवर्थ (Woodworth) के अनुसार “बुद्धि ज्ञान प्राप्त करने की योग्यता है । "(Intelligence is the ability to acquire knowledge.)

2. समस्या समाधान की योग्यता (Ability to solve the problem)-

प्रत्येक व्यक्ति को विकास के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना होता है। जो व्यक्ति इन समस्याओं पर जितनी शीघ्र विजय प्राप्त कर लेता है या उनसे छुटकारा प्राप्त कर लेता है, वही सबसे अधिक बुद्धिमान माना जाता है। अतः समस्या समाधान में प्रयोग की गयी योग्यता ही 'बुद्धि' है ।

रायबर्न (Rayburn) के अनुसार- "बुद्धि वह शक्ति है, जो हमको समस्याओं का समाधान करने और अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने की क्षमता देती है।"(Intelligence is the power which unable us to solve problems and to achieve our purposes.)

गैरेट (Garret) के अनुसार-  बुद्धि ऐसी समस्याओं को हल करने की योग्यता है जिनमें ज्ञान और प्रतीकों के समझने और प्रयोग करने की आवश्यकता होती है। जैसे- शब्द, अर्थ, रेखाचित्र, समीकरण एवं सूत्र। (Intelligence is the ability to solve problems that require the understanding and application of knowledge and symbols.  For example, words, meanings, diagrams, equations and formulas.)

3. अमूर्त चिन्तन की योग्यता (Ability of think abstractly)-

प्रत्येक व्यक्ति दो प्रकार से चिन्तन प्रक्रिया को अपनाता है। प्रथम मूर्त रूप से चिन्तन करके ज्ञान प्राप्त करना और द्वितीय-अमूर्त रूप से चिन्तन करके। अमूर्त रूप से तात्पर्य, जो चीजें हमारे समक्ष नहीं हैं उनका कल्पना तथा स्मृति के आधार पर ज्ञान प्राप्त करना। अत: अमूर्त चिन्तन में जो व्यक्ति अधिक सफल होता है, उसे बुद्धिमान कहा जाता है।

टरमन (Terman) के अनुसार- "बुद्धि अमूर्त विचारों के बारे में सोचने की योग्यता है”। (Intelligence is the ability to think in terms of abstract ideas.)

अल्फ्रेड बिने (Alfred Binet)के अनुसार- “बुद्धि उचित प्रकार से सोचने, सही निर्णय लेने और आत्मसमालोचना करने की क्षमता है। "("Intelligence is the capacity to think well, to judge well and to be self critical.")

4. पर्यावरण से सामंजस्य की योग्यता (Ability of adjustment with Environment)-

प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में विकास करता है। विकास के समय सफलताएँ और असफलताएँ दोनों ही आती हैं। जो व्यक्ति दोनों में समाजीकरण एवं सामंजस्य करते हुए विकास करता है, या जो जितनी शीघ्र पर्यावरण के साथ समायोजन कर लेता है। उसे बुद्धिमान व्यक्ति माना जाता है ।

क्रूज (Cruz) के अनुसार- बुद्धि नवीन और विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में उचित प्रकार से समायोजन करने की योग्यता है ।(Intelligence is the ability to adjust adequately to new and different situations.)

स्टर्न (Stern) के अनुसार – “बुद्धि किसी व्यक्ति की नई परिस्थितियों के साथ समायोजन करने की योग्यता है”। (Intelligence is the ability to adjust oneself to a new situation.)

पिन्टनर (Pintner) के अनुसार–‘‘जीवन की अपेक्षाकृत नवीन परिस्थितियों से समायोजन करने की योग्यता ही व्यक्ति की बुद्धि है।(Intelligence is the ability of the individual to adopt himself adequately relatively new situations in life.

थॉर्नडाइक (Thorndike) के अनुसार- उत्तम अनुक्रिया करने एवं नवीन परिस्थितियों के साथ समायोजन करने की योग्यता ही बुद्धि है। (Intelligence is the ability to make good response and is demonstrated by the capacity to deal effectively with new situations.)

कुछ मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को अनेक योग्यताओं का समुच्चय माना है-

वैशलर (Wechsler) के अनुसार– “बुद्धि व्यक्ति की उद्देश्यपूर्ण ढंग से कार्य करने, विवेकपूर्ण ढंग से चिन्तन करने और अपने पर्यावरण के साथ प्रभावशाली ढंग से सामंजस्य करने की सम्पूर्ण अथवा व्यापक योग्यता है” (Intelligence is the aggregate or global capacity of the individual to act purposefully, to think rationally and to deal effectively with his environment.)

स्टोडार्ड (Stoddard) के अनुसार- बुद्धि उन कार्यों को करने की योग्यता है जिनमें कठिनाई, जटिलता, सूक्ष्मता, मितव्यता, उद्देश्य प्राप्ति की क्षमता, सामाजिक मूल्य एवं मौलिकता की अपेक्षा है तथा विशिष्ट परिस्थितियों में ऐसे कार्य करने की क्षमता जिनमें ऊर्जा के केन्द्रीकरण एवं संवेगात्मक शक्तियों पर नियन्त्रण रखने की आवश्यकता होती है । (Intelligence is the ability to undertake activities that are characterized by difficulty, complexity, abstractness, economy, adaptiveness to a goal, social value and the emergence of originals, and to maintain such activities under conditions that demand a concentration of energy and resistance to emotional forces.)

कोलेस्निक (Kolesnik) के अनुसार- बुद्धि कोई एक प्रकार की शक्ति, क्षमता एवं योग्यता नहीं है जो सब परिस्थितियों में समान रूप से कार्य करती है अपितु यह विभिन्न योग्यताओं का योग है। (Intelligence is not a single power or capacity or ability which operates equally well in all situations. It is rather a composite of several different abilities.)

बुद्धि की प्रकृति एवं विशेषतायें (Nature and Characteristics of Intelligence)

  • बुद्धि जन्मजात शक्ति है।
  • बुद्धि के उचित विकास के लिए पर्यावरण का महत्व है। 
  • योग की क्रियाओं द्वारा जन्मजात बुद्धि में वृद्धि सम्भव है।
  • बुद्धि सीखने की योग्यता है।
  • बुद्धि पर्यावरण के साथ समायोजन करने की योग्यता है।
  • बुद्धि अमूर्त्त चिंतन की योग्यता है।
  • बुद्धि पूर्व अनुभवों एवं अर्जित ज्ञान से लाभ उठाने की योग्यता है।
  • बुद्धि समस्या समाधान की योग्यता है।
  • बुद्धि अनेक योग्यताओं का समुच्चय है।
  • बुद्धि संबंधों को समझने की शक्ति है।
  • बुद्धि चिंतन करने, तर्क करने और निर्णय करने की शक्ति है।
  • बुद्धि का विकास जन्म से लेकर किशोरावस्था तक होता है।
  • बुद्धि में आत्म निरीक्षण की शक्ति होती है । व्यक्ति द्वारा किये गए कर्मों और विचारों की आलोचना बुद्धि स्वयं करती है।

बुद्धि  के प्रकार (Types of Intelligence)

मनोवैज्ञानिक थॉर्नडाइक (Thorndike) ने बुद्धि के तीन प्रकार बताए थे- गामक या यान्त्रिक बुद्धि  (Motor or Mechanical Intelligence), अमूर्त बुद्धि (Abstract Intelligence) और सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence)। गैरेट (Garette) ने थॉर्नडाइक की गामक अथवा यान्त्रिक बुद्धि को मूर्त बुद्धि (Concrete Intelligence) की संज्ञा दी। वर्तमान में बुद्धि के ये ही तीन प्रकार माने जाते हैं-

(1) मूर्त बुद्धि (Concrete Intelligence)—

वह बुद्धि जो मनुष्यों को वस्तुओं के स्वरूप को समझने एवं तदनुकूल क्रिया करने में सहयोग करती है, उसे गैरेट ने मूर्त बुद्धि (Concrete Intelligence) की संज्ञा दी। मूर्त बुद्धि इसलिए कि वह मूर्त वस्तुओं को समझने एवं मूर्त क्रियाओं को करने में सहायता करती है। इस प्रकार की बुद्धि को थॉर्नडाइक ने गत्यात्मक बुद्धि (Motor Intelligence) या यान्त्रिक बुद्धि (Mechanical Intelligence) कहा था। जिन बच्चों में इस प्रकार की बुद्धि की अधिकता होती है, वे वस्तुओं को तोड़ने-जोड़ने में विशेष रुचि लेते हैं। अन्य शारीरिक कार्य; जैसे-खेल-कूद एवं नृत्य आदि में भी उनकी रुचि होती है। ऐसे बच्चे आगे चलकर कुशल कर्मकार और इंजीनियर बनते हैं।

(2) अमूर्त बुद्धि (Abstract Intelligence)- 

वह बुद्धि जो मनुष्यों को पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करने में, विभिन्न तथ्यों की जानकारी प्राप्त करने में, सोचने-समझने में और समस्याओं के समाधान खोजने में सहायता करती है, उसे थॉर्नडाइक ने अमूर्त बुद्धि (Abstract Intelligence) की संज्ञा दी। अमूर्त बुद्धि इसलिए क्योंकि वह अमूर्त चिन्तन-मनन और समस्या समाधान में सहायक होती है। जिन बच्चों में इस प्रकार की बुद्धि की अधिकता होती है, वे पुस्तक अध्ययन और चिन्तन-मनन में अधिक रुचि लेते हैं। ऐसे बच्चे आगे चलकर अच्छे वकील, डॉक्टर, अध्यापक, साहित्यकार (writer)  चित्रकार (painter) और दार्शनिक बनते हैं।

(3) सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence)- 

वह बुद्धि जो मनुष्यों को अपने समाज में समायोजन करने एवं सामाजिक कार्यों में भाग लेने में सहायता करती है, उसे थॉर्नडाइक ने सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence) की संज्ञा दी है। जिन बच्चों में इस प्रकार की बुद्धि की अधिकता होती है वे परिवार के सदस्यों, समाज के लोगों और विद्यालय के सहपाठियों के साथ समायोजन करते हैं और सामाजिक कार्यों में रुचि लेते हैं। ऐसे बच्चे आगे चलकर अच्छे व्यवसायी (Businessman), समाज सेवक  एवं राजनेता (Social worker and politician) बनते हैं।


बुद्धि के सिद्धान्त (Theories of Intelligence)

1. एक कारक या एक सत्तात्मक सिद्धान्त (Unitary or Monarchic Theory)

2. द्विकारक सिद्धान्त (Two factor or Bi-factor Theory)

3. त्रिकारक सिद्धान्त (Three Factor Theory)

4. बहुकारक सिद्धान्त (Multi-factor Theory)

5. समुह कारक सिद्धान्त (Group factor Theory)

6. त्रि-आयाम सिद्धान्त या बुद्धि  सरंचना प्रतिमान (Three Dimensional Theory or S.I. Model)

7. बहु बुद्धि सिद्धान्त (Multiple Intelligence Theory)

8. प्रतिदर्श सिद्धान्त (Sampling or Oligarchic Theory)


एक कारक या एक सत्तात्मक सिद्धान्त (Unitary or Monarchic Theory)

बुद्धि एक इकाई कारक (Unit Factor), शक्ति या ऊर्जा है, जो सम्पूर्ण मानसिक कार्यों को प्रभावित करती है। ऐसे विचार फ्रान्स के निवासी अल्फ्रेड बिने ने सर्वप्रथम 1905 में दिए । बिने के इन विचारों का अमेरिका निवासी टरमैन, स्टर्न तथा जर्मन के एबिंघास ने समर्थन किया। इन विद्वानों के अनुसार बुद्धि एक ऐसी शक्ति है, जो सभी मानसिक कार्यों को संचालित, संगठित तथा प्रभावित करती है। इस सिद्धान्त के अनुसार यदि किसी व्यक्ति में उच्च स्तरीय बौद्धिक योग्यताएँ (Intellectual Abilities) होती हैं तो वह सभी क्षेत्रों में कुशलता (Efficiency) तथा निपुणता प्राप्त कर सकता है। बुद्धि रूपी इस सर्वशक्तिशाली मानसिक प्रक्रिया (Mental Process)  को इन विद्वानों ने अलग-अलग नामों से पुकारा है। बिने ने बुद्धि के लिए ‘निर्णय लेने  की योग्यता (Decision making ability)', स्टर्न ने 'नवीन स्थितियों के साथ समायोजन स्थापित करने की योग्यता’ (Ability to make adjustments to new situations) तथा टरमैन ने 'विचारने की योग्यता (Ability to think)' शब्दों का प्रयोग किया है।

द्विकारक सिद्धान्त( Two Factor or Bi-Factor Theory)

ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक स्पीयरमैन (Spearman) ने 1904 में  अपने प्रयोगों से यह निष्कर्ष निकाला कि बुद्धि दो कारकों (शक्तियों अथवा योग्यताओं) का से मिलकर हुई है। प्रथम कारक को उन्होंने सामान्य मानसिक योग्यता (General Mental Ability, G) तथा दूसरे कारक को विशिष्ट मानसिक योग्यता (Specific Mental Ability, S) कहा। 

स्पीयरमैन के अनुसार- बुद्धि एक सर्वशक्तिमान सामान्य मानसिक शक्ति है, जो समस्या-समाधान में हमारी सहायता करती है एवं परिस्थितियों से समायोजन करने में सहायक होती है।

   स्पीयरमैन  ने स्पष्ट किया कि सामान्य योग्यता (G) व्यक्ति को सभी प्रकार के कार्यों में सहायता करती है और विशिष्ट योग्यता (S) उसे उसी कार्य में सहायता करती है जिसके लिए वह होती है। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि सामान्य योग्यता (G) एक ही होती है परन्तु विशिष्ट योग्यता (S) अनेक होती हैं। उन्होंने इन्हें क्रमशः सामान्य बुद्धि (General Intelligence) और विशिष्ट बुद्धि (Specific Intelligence) की संज्ञा दी और विभिन्न प्रकार की विशिष्ट योग्यताओं को S1, S2, S3, S4 आदि से व्यक्त किया है। 


'G' कारक की विशेषताएँ (Characteristics of ‘G’ Factor)

  1. यह एक सामान्य मानसिक योग्यता है जो सभी प्रकार के कार्यों के सम्पादन में सहायक होती है। 
  2. सामान्य बुद्धि सभी व्यक्तियों में कम और अधिक मात्रा में पाई जाती है। अतः यह एक सर्वव्यापी योग्यता (Universal ability) है। 
  3. 'G' कारक पर प्रशिक्षण (Training) अथवा अनुभव (Experience) का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अतः यह अपरिवर्तनीय (Irreversible) है तथा जन्मजात (In born) है। 
  4. ‘G’ कारक मनुष्य की सफलताओं को निर्धारित करता है अर्थात् जिसमें 'G' की मात्रा जितनी अधिक होगी, वह जीवन में उतना ही अधिक सफल रहेगा।
  5. 'G' को व्यक्ति की सामान्य मानसिक ऊर्जा (General Mental Energy) के रूप में माना जा सकता है।


S' कारक की विशेषताएँ (Characteristics of Specific Factor)

  1.  'S' कारक अर्थात् विशिष्ट योग्यता (Specific Ability) अनेक होती हैं।
  2. एक व्यक्ति में कई विशिष्ट योग्यताएँ  (Specific Abilities)हो सकती हैं।
  3. अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग प्रकार की विशिष्ट मानसिक योग्यताएँ पाई जाती हैं। 
  4. अलग-अलग तरह की विशिष्ट मानसिक क्रियाओं (Specific Mental Activities) के सम्पादन में अलग-अलग तरह की विशिष्ट बुद्धि की आवश्यकता होती है।
  5.  यह बुद्धि न स्थिर (Stable) होती है और न ही जन्मजात (In born) होती है।
  6.  'S' कारक पर प्रशिक्षण (Training) तथा अनुभव (Experience) का किसी विशेष सीमा तक प्रभाव पड़ता है अर्थात् यह परिवर्तनीय (Convertible) है। 
  7. किसी क्षेत्र विशेष के लिए व्यक्ति में उससे सम्बन्धित जितनी अधिक विशिष्ट बुद्धि (S) होगी वह उस क्षेत्र में उतना हीअधिक सफल होगा।
स्पीयरमैन  के अनुसार 'G' कारक या सामान्य योग्यता में दो बातें हैं - 
(i) सम्बन्ध शिक्षण (Education of Relation)

(ii) सहसम्बन्ध शिक्षण (Education of Correlates)

सम्बन्ध शिक्षण (Education of Relation) का अर्थ है - दो वस्तुओं (Objects) या वस्तु के भागों में सम्बन्ध का बोध (Sense) ।

सहसम्बन्ध शिक्षण (Education of Correlates) का अर्थ है - एक व्यक्ति के मन (Mind) में एक वस्तु (Object) होने पर उस वस्तु (Object) का दूसरी वस्तु से सम्बन्ध (Relation) ज्ञात होने पर दूसरी सम्बंधित वस्तु के बारे में सोचना ।

विद्वानों ने स्पीयरमैन की यह बात तो स्वीकार की कि मनुष्य के कार्यों में उसकी सामान्य बुद्धि (G) और विशिष्ट बुद्धि (S) कार्य करती हैं परन्तु इस सिद्धान्त से यह स्पष्ट नहीं होता कि किसी कार्य के सम्पादन में उसकी किस बुद्धि अथवा कारक का कितना योगदान होता है? इसलिए उन्होंने इस सिद्धान्त को भी स्वीकार नहीं किया।

त्रिकारक सिद्धान्त (Three Factor Theory)


द्विकारक सिद्धांत की  कमी को स्वयं स्पीयरमैन ने समझ लिया था और उस कमी को  पूरा करने के लिए उन्होंने त्रिकारक सिद्धान्त (Three Factor Theory) का प्रतिपादन दिया। उन्होनें बुद्धि के G और S कारकों (Factors) के साथ एक तीसरा कारक-समूह कारक (Group Factor) और जोड़ दिया। समूह कारक से उनका तात्पर्य उस कारक से था जो G तथा S कारकों में समान रूप से विद्यमान रहता है।  

समूह कारक, ‘G’ कारक की अपेक्षा कम सामान्य अर्थात् कुछ विशिष्टता ((Specialty) लिए होता है तथा, ‘S' कारक की अपेक्षा कम विशिष्ट अर्थात् 'S' कारक से अधिक सामान्य होता है । 

अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थॉर्नडाइक (Thorndike) ने इस सिद्धान्त की आलोचना की और कहा बुद्धि को  G , S  और सामूहिक कारकों (Group Factors) के द्वारा स्पष्ट नहीं किया जा सकता ।


बुद्धि का बहुकारक सिद्धान्त (Multi-factor Theory of Intelligence)

  •  प्रतिपादक -  एडवर्ड थॉर्नडाइक  (अमेरिकी मनोवैज्ञानिक) 
  • इस सिद्धान्त के अन्य नाम- असत्तात्मक सिद्धान्त (Anarchic Theory), बालू के टीले का सिद्धांत (Sand Dune Theory), परमाणुवादी सिद्धान्त (Atomistics Theory), विशेष तत्वों का सिद्धान्त (Special Elements Theory) ।
  • थॉर्नडाइक के अनुसार बुद्धि विशिष्टीकृत और स्वतन्त्र मानसिक शक्तियों के मिश्रण से बनी है—(Intelligence is comprised of highly particularized and independent faculties)। 
  •  थॉर्नडाइक के मत से बुद्धि में प्रमुख योग्यताओं का होना आवश्यक है-

  1. P1 = शाब्दिक योग्यता (Verbal Ability) 
  2. P2 = आंकिक योग्यता (Number Ability)
  3. P3 = तार्किक योग्यता ( Logical Ability)
  4. P4 = स्मृति योग्यता (Memory Ability)
  5. P5 = स्थानिक योग्यता (Spatial Ability)
  6. P6 = भाषा योग्यता (Language Ability)




  • यह सिद्धान्त सामान्य बुद्धि (G) जैसे किसी कारक को नहीं मानता है। 
  • यह सिद्धान्त विशिष्ट बुद्धि (S Factor) का समर्थन करता है। 
  • बुद्धि अलग-अलग कारकों या तत्वों से मिलकर बनी हुई है, इसलिये इसे बहुकारक या बहुतत्व सिद्धान्त कहा जाता है।
  • अनेक छोटे -छोटे तत्व मिलकर बुद्धि का निर्माण करते हैं इसलिए इस सिद्धान्त को परमाणुवादी सिद्धान्त के नाम से जाना जाता है।
  • इस सिद्धान्त के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी एक प्रकार के कार्य को आसानी से कर लेता है तो इससे हम यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि वह दूसरे क्षेत्र से सम्बन्धित कार्यों को भी उतनी ही अधिक कुशलता के साथ सम्पन्न कर सकेगा।
  • थॉर्नडाइक शुरू में यह मानते थे कि प्रत्येक मानसिक कार्य को करने के लिए अलग से एक स्वतन्त्र कारक (Independent factor) की आवश्यकता होती है, लेकिन बाद में वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि किसी भी मानसिक क्रिया को करने में कई तत्व एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। जब कई योग्यताएँ मिलकर किसी कार्य को करती हैं तो उनमें आपस में सह-सम्बन्ध पाया जाता है। 
  • थॉर्नडाइक ने बुद्धि की चार विशेषताएँ बताई- 

(1) स्तर (Level)- स्तर का शाब्दिक अर्थ होता है कि किसी विशेष कठिनाई स्तर का कितना कार्य किसी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है।

(2) विस्तार (Range)- इसका अर्थ कार्य की उस विविधता से है जो किसी स्तर पर कोई व्यक्ति समस्या का समाधान कर सकते हैं।

(3) क्षेत्र (Area)- क्षेत्र का अभिप्राय क्रियाओं की उन कुल संख्याओं से है जिनका हम समाधान कर सकते हैं।

(4) गति (Speed)- इसका अर्थ कार्य करने की गति से है।

इन चारों विशेषताओं के आधार पर ही बुद्धि परीक्षणों का निर्माण तथा क्रियान्वयन किया जाता है।  

केली ने बुद्धि के 9 कारक बताये, गिलफोर्ड ने 120 तथा अन्य ने अलग संख्या बताई। अतः अभी तक न तो पूरे कारकों की संख्या निश्चित हो पाई है और न ही न सभी कारकों को खोजा जा सकता है। अतः यह सिद्धान्त अभी अपूर्णता की स्थिति में प्रतीत होता है।

समूह कारक सिद्धान्त (Group Factor of Theory)

  • प्रतिपादकLouis Leon Thurstone (1937 or 1938)

  • शिकागो विश्वविद्यालय में कारक विश्लेषण (Factor analysis) विधि का प्रयोग करके इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। 
  • इस सिद्धांत के अनुसार समूह कारक सिद्धान्त (Multi-factor Theory) न तो इस तथ्य को स्वीकार करता है कि बुद्धि में अनेक योग्यताएँ निहित हैं और न ही बुद्धि को सामान्य योग्यता तथा विशिष्ट योग्यता जैसे तत्वों में बाँटने को स्वीकार करता है। 
  • थर्सटन ने बुद्धि से सम्बन्धित हजारों शब्दों को एकत्र किया तथा कारक विश्लेषण विधि (Factor Analysis Method) द्वारा मुख्य कारकों के समूह बनाये। उसके अनुसार मानसिक योग्यताओं के अनेक समूह हैं तथा प्रत्येक समूह का अपना एक प्राथमिक कारक (Primary factor) होता है जो उस समूह का प्रतिनिधित्व करता है। मुख्य कारक अपने समूह की योग्यताओं को मनोवैज्ञानिक तथा क्रियात्मक (Functional) एकता प्रदान करता है। थर्सटन का मत है कि ये प्राथमिक कारक एक-दूसरे से अपेक्षाकृत (Relatively) स्वतन्त्र होते हैं ।
  • बुद्धि (I) = N + V + S + W + R + M + P 

  • थर्सटन ने अनेक प्रयोग (Experiments) किये और कारक विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि बुद्धि के सात प्राथमिक कारक (Primary Factor) हैं। 

  1. 7 Primary Mental Ability


  1. मौखिक अथवा शाब्दिक योग्यता (Verbal compression or Ability -V) – यह योग्यता शब्दों का उचित प्रयोग करने, शब्दकोष बढ़ाने, तर्क तथा वार्तालाप करने में सहायक है। 
  2. आंकिक योग्यता (Numerical Ability-N) - यह योग्यता आंकिक गणनाओं को शीघ्रता तथा शुद्धता से करने में सहायक है।
  3. शब्द-प्रवाह (Word Fluency-W)  यह अपने विचारों को प्रवाहपूर्ण भाषा में अभिव्यक्त करने की योग्यता है। 
  4. स्थान से सम्बन्धित योग्यता (Visual or Spatial Ability S ) – यह व्यक्ति की वह योग्यता है जो उसे स्थान तथा दूरी से सम्बन्धित संरचनाओं का ज्ञान कराने में सहायक है।
  5. तार्किक योग्यता (Reasoning Ability-R) - यह किसी व्यक्ति की तार्किक आधारों पर किसी समस्या को हल करने की क्षमता है। इसमें आगमन (Inductive) तथा निगमन (Deductive) दो प्रकार की योग्यता निहित है।
  6. स्मृति (Memory - M) - यह किसी विषय सामग्री को याद करने, उसे धारण करने तथा समय पर उसका प्रत्यास्मरण (Recall) करने की योग्यता है।
  7. प्रत्यक्षीकरण की योग्यता (Perceptual Ability P) - यह किसी घटना अथवा वस्तु को शीघ्रता तथा बारीकी से देखने व पहचानने, उसके बारे में प्रत्यय (Concept) बनाने तथा समानता एवं असमानता का अभिज्ञान कराने की योग्यता है।

(iii) परम्परागत चिन्तन (Convergent thinking-N) - इस प्रकार के चिन्तन को अभिसारी चिन्तन भी कहते हैं। इसमें समस्या अथवा प्रश्न का हल एक पूर्व सुपरिचित उचित उत्तर देकर किया जाता है। अर्थात् दी गयी जानकारी के आधार पर अनुक्रिया की जाती है।

(iv) गैर-परम्परागत चिन्तन (Divergent thinking)-D) - इस प्रकार के चिन्तन को अपसारी चिन्तन भी कहते हैं। इसमें लीक से हटकर किसी समस्या का समाधान अनेक नवीन (Novel) विधियों के द्वारा किया जाता है। गैर-परम्परागत चिन्तन का क्रियात्मकता (Functionality) से घनिष्ठ सम्बन्ध है।

(v) मूल्यांकन (Evaluation-E)-  मूल्यांकन की प्रक्रिया में प्राप्त सूचनाओं की पर्याप्तता का आकलन करके निर्णय लेना होता है। इसमें इस बात का पता लगता है कि हमने क्या सीखा, क्या याद है, और कितना उत्पादन कर सके? इसके साथ-साथ यह भी निर्णय लेना होता है कि प्राप्त सूचना पूर्ण है अथवा अधूरी, उपयुक्त है अथवा अनुपयुक्त और कितनी उपयोगी है। है

2. विषय-वस्तु (Content)-  विषय-वस्तु से तात्पर्य उस सामग्री (Material) से है जिसके आधार पर मानसिक प्रक्रियाएँ की जाती हैं। गिलफोर्ड ने विषय-वस्तु से सम्बन्धित सूचनाओं को चार भागों में विभक्त किया है -

(i) चित्रात्मक (Figural-F)-  इसमें वह मूर्त सामग्री आती है जिसका अनुभव इन्द्रियों द्वारा किया जा सकता है। दृश्य सामग्री में रूप, आकार  (Size) तथा रंग  जैसे गुण विद्यमान रहते हैं।

(ii) सांकेतिक (Symbolic-S) - इस सामग्री में वर्ण, अक्षर, अंक तथा अन्य परम्परागत चिह्न आते हैं। 

(iii) शाब्दिक/भाषीय योग्यता (Semantic-M) - इसमें मौखिक, लिखित शब्दों, वाक्यों अथवा विचारों आदि का अर्थ करना होता है।

(iv) व्यवहारात्मक (Behavioural-B) - इसके अन्तर्गत मानवीय व्यवहारों तथा अन्तःक्रियाओं की अशाब्दिक (Non-Verbal) जानकारी आती है। यह एक प्रकार से सामाजिक बुद्धि से सम्बन्धित है जो हमें स्वयं को तथा दूसरों को समझने का कार्य करती है।

3. उत्पाद (Product)-  उत्पाद से तात्पर्य निष्पादन से है जो व्यक्ति द्वारा विषय-सामग्री (Content) पर मानसिक प्रक्रियाओं (operation) के परिणामस्वरूप सम्पादित होता है। गिलफोर्ड ने इसे छः भागों में विभक्त किया है।

(i) इकाइयाँ (Units-U)- यह उत्पाद का सबसे सरल रूप है। इसमें सूचनाओं का समावेश दृश्य (Visual), श्रव्य (auditory) तथा सांकेतिक इकाइयों के रूप में होता है। इस श्रेणी में अधिकांश सार्थक तथा छोटी- छोटी सूचनाएँ आती हैं। जैसे-शब्दों के अर्थ, शब्दों की सूचियाँ आदि ।

(ii) वर्ग (Classes-C)—विचारों तथा शब्दों आदि को उनके गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता हैं अर्थात् समान विशेषताओं के आधार पर इकाइयों को समूहबद्ध करते हैं। जैसे- मेज + कुर्सी + बेंच + स्टूल = फर्नीचर |

(iii) सम्बन्ध (Relations-R)-  प्रत्यक्षीकरण (perception) द्वारा वस्तुओं के बीच उनके आकार अथवा सांकेतिक गुणों के आधार पर सम्बन्धों (Relations) को समझते हैं तथा प्रत्ययात्मक (Conceptual) सामग्री  में सम्बन्ध स्थापित करते हैं।

(iv) प्रणालियाँ (System-S) - सम्बन्धों के संश्लेषण (Synthesis), संगठन (Organisation) तथा वर्गीकरण (Classification) द्वारा वस्तुओं तथा सांकेतिक तत्वों की सरंचना करते हैं। जैसे गणित की विभिन्न समस्याओं (Problem) को हल करने के लिए विभिन्न सूत्रों का प्रतिपादन करना।

(v) रूपान्तरण (Transformation-T) - विषय वस्तु पर मानसिक क्रियाएं करते समय प्राप्त अनुभवों के आधार पर विषय सामग्री के स्वरूप में कुछ परिवर्तन करना अथवा उसे पूरी तरह से पुनः संगठित करना अथवा पुनः संरचित (Restructurised) करना एवं पुनःसंरचना करने के फलस्वरूप परिणामों के आकलन करना।

(vi) निहितार्थ (Implications-I)-  सूचना सामग्री तथा संक्रियाओं की अन्तःक्रिया (Interaction) के फलस्वरूप घटित परिणामों का निष्कर्ष निकालना तथा उनका दूसरी परिस्थितियों में उपयोग करना अर्थात् वर्तमान ज्ञान को भविष्योन्मुख बनाना है। 

गार्डनर का बहु बुद्धि सिद्धान्त (Gardner's Multiple Intelligence Theory)


बुद्धि के बहु पहलुओं का विस्तार से अध्ययन करने में हावर्ड गार्डनर ने सराहनीय कार्य किया तथा न्यूरो मनोविज्ञान के क्षेत्र में किये गये अनुसन्धानों के आधार पर 1983 में एक नये बहु बुद्धि सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उसने अपनी पुस्तक "Frames of Mind: The theory of Multiple Intelligence" में सात प्रकार की बुद्धि का वर्णन किया है। उसके अनुसार बुद्धि के सातों कारक पूर्णतः आनुवंशिक नहीं होते हैं बल्कि ये उचित सामाजिक तथा भौतिक वातावरण एवं किसी विशेष प्रकार के प्रशिक्षण (Training) द्वारा विकसित किये जा सकते हैं।

उनके अनुसार बुद्धि वास्तव में संदर्भित बुद्धि (Contextualized Intelligence) होती है। गार्डनर का मानना है कि व्यक्ति में विभिन्न बुद्धियों के प्रति कुछ प्रवृत्तियां होती हैं। “बुद्धि किसी विशिष्ट सांस्कृतिक सन्दर्भ में जैविक प्रवृत्तियों और सीखने के अवसरों के बीच होने वाली अन्तःक्रिया के रूप में होती है।" (Intelligence is always an interaction between biological pro-activities and opportunities for learning in a particular cultural context.)

गार्डनर द्वारा बुद्धि के 7 प्रकार दिए गए जो कि निम्न हैं-

1. भाषायी बुद्धि (Linguistic Intelligence) - 

इस बुद्धि के द्वारा व्यक्ति अपने विचारों को भाषा के रूप में  अभिव्यक्त करने की योग्यता प्राप्त करता है। जिस व्यक्ति में यह बुद्धि अधिक होती है उसकी बोधक्षमता (Comprehension ability) अर्थात् भाषा सीखने की योग्यता अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक होती है। उसका शब्दावली (Vocabulary) पर अधिकार (Command) होता है एवं वह शब्दों में सम्बन्ध स्थापित करने में दक्ष होता है।

Ex.- अच्छे शिक्षक, कवि, पत्रकार, लेखक, वक्ता तथा नेताओं में भाषायी बुद्धि अधिक होती है ।

2. तार्किक -गणितीय बुद्धि (Logical-mathematical Intelligence) - 

यह बुद्धि व्यक्ति की तर्क शक्ति, विश्लेषण क्षमता तथा गणित की समस्याओं के हल करने में परिलक्षित होती है। इस तरह ही बुद्धि वाले व्यक्ति आंकिक श्रेणियाँ (Numerical Series ) को शीघ्रता से हल कर लेते हैं। वे संख्याओं को जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग देना आदि तीव्र गति से करते हैं।

Ex.-  Mathematician, Accountant, Banker etc.

3. दृष्टिमूलक-स्थानिक बुद्धि (Visual-spatial Intelligence)-  

यह बुद्धि व्यक्ति की स्थानिक कल्पना शक्ति (Spatial visualization), स्थानिक चित्रों (Spatial figures) में सम्बन्ध स्थापित करने तथा प्रत्ययों का निर्माण करने (Concept formation) की दक्षता के रूप में जानी जाती है। इस प्रकार के व्यक्ति स्थानों के रास्ते याद रखने, वस्तुओं तथा मशीनों की संरचनाएं समझने एवं यान्त्रिक कौशलों (Mechanical Skills) में बड़े निपुण होते हैं।

Ex. - मूर्तिकार, चित्रकार, नाविक, विमान चालाक आदि।

4. संगीतात्मक बुद्धि (Musical Intelligence ) – 

यह बुद्धि संगीत से सम्बन्धित लय (rhythm) तथा आरोह-अवरोह (Pitch) की संवेदनशीलता की क्षमता के द्वारा जानी जाती है। इस प्रकार की बुद्धिवाला व्यक्ति संगीतात्मक सामर्थ्य (Musical Competence) का धनी होता है।

Ex.-  Music Composer, Singer etc.

5. शारीरिक गति बोधक बुद्धि (Kinesthetic Intelligence)- 

यह बुद्धि व्यक्ति की शारीरिक क्रियाओं द्वारा अभिव्यक्त होती है, जैसे-खेलना, कूदना, यौगिक क्रियाएँ करना, नृत्य करना तथा अन्य प्रकार के शारीरिक करतब दिखाना जैसा कि सर्कस के कलाकार एवं नट लोग दिखाते हैं।

6. अन्तर्वैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal Intelligence) -

यह बुद्धि व्यक्ति को अन्य लोगों के भावों, संवेगों, आवश्यकताओं तथा अभिप्रेरणाओं को समझने में समर्थ बनाती है। इस प्रकार की बुद्धि वाला व्यक्ति दूसरे लोगों से प्रभावशाली ढंग से अन्तः क्रिया करता है और उनके द्वारा किये जाने वाले व्यवहार का पूर्वानुमान कर लेता है।

Ex.- Psychologist, Social Workers etc.

7. अंतःवैयक्तिक बुद्धि (Intrapersonal Intelligence)-  

यह बुद्धि व्यक्ति को अपने भावों तथा संवेगों को नियन्त्रित तथा निर्देशित करने की क्षमता के रूप में जानी जाती है। इस प्रकार की बुद्धि वाले व्यक्ति में अपने अनुसार कार्य करने, आत्म निर्भर रहने, स्वाध्याय करने तथा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रबल प्रकृति होती है।

Ex.- Philosopher, Psychiatrist, Design Planner etc.

इन सात प्रकार की बुद्धि के अतिरिक्त गार्डनर ने 1998 में प्रकृतिवादी बुद्धि तथा 2000 में अस्तित्ववादी बुद्धि नामक दो अन्य बुद्धि के प्रकार अपने सिद्धान्त में सम्मिलित किये। अतः उसने नौ प्रकार की बुद्धि का उल्लेख किया है

8. प्रकृतिवादी बुद्धि (Naturalistic Intelligence)– 

प्रकृतिवादी बुद्धि से तात्पर्य व्यक्ति की उस क्षमता से है जो प्रकृति में  पाये जाने वाले पैटर्न (Pattern) तथा समरूपक (Symmetry) का बारीकी से निरीक्षण करके उसकी ठीक-ठीक पहचान करने के कार्य में सहायता करती है। इस बुद्धि का उपयोग कृषि (Agriculture), जीव विज्ञान (Zoology) तथा वनस्पति विज्ञान (Botany) के क्षेत्र से सम्बन्धित रहस्यों को उजागर करने में अधिक होता है। जिन व्यक्तियों में इस प्रकार की बुद्धि अधिक होती है, वे सफल किसान, जैव वैज्ञानिक तथा वनस्पति विशेषज्ञ बनते हैं।

9. अस्तित्ववादी बुद्धि (Existentialistic Intelligence) -

यह व्यक्ति की वह बुद्धि है जो उसे मानव संसार के रहस्यमय विषयों, जैसे-आत्मा-परमात्मा, जीवन-मरण तथा मानवीय अनुभूतियों (सुख-दुख) आदि को जानने के प्रति जिज्ञासु बनाती हैं। इस तरह की बुद्धि दार्शनिक विचारकों (Philosophical Thinkers) में अधिक पाई जाती है।


 बुद्धि परीक्षणों के प्रकार (Types of Intelligence Tests)

बुद्धि परीक्षणों को दो आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है-

1. प्रयोज्यों  या परीक्षार्थियों की संख्या (Number of Subjects or Examinees) के आधार पर। 

2. परीक्षणों के प्रस्तुतीकरण के स्वरूप (Forms of Presentation) के आधार पर। 

1. परीक्षार्थियों की संख्या के आधार पर बुद्धि परीक्षणों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है - 

(i) व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (Individual Intelligence Test)।

(ii) सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Group Intelligence Tests) ।

2. परीक्षणों के प्रस्तुतीकरण के स्वरूप के आधार पर भी उन्हें दो वर्गों में विभाजित किया जाता है - 

(i) शाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Verbal Intelligence Tests) ।

(ii) अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Non-Verbal Intelligence Tests)। 













व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (Individual Intelligence Test)-

ये वे  बुद्धि परीक्षण हैं जो एक समय मे केवल एक ही  प्रयोज्य या परीक्षार्थी पर प्रशासित किये जाते हैं। इन परीक्षणों के प्रशासन में सर्वप्रथम परीक्षणकर्ता परीक्षार्थी के साथ संबंध स्थापित करता है और इस संबंधित व्यवहार से उसे सामान्य मानसिक स्थिति में लाता है , उसे किसी भी प्रकार के भय व चिंता से मुक्त करता है। इसके बाद उसे परीक्षण संबंधित निर्देश देता है  और अंत मे उसे परीक्षण में निहित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कहता है।

मुख्य परीक्षण स्टेनफोर्ड बिने बुद्धि परीक्षण (Stanford Binet Test of Intelligence), वैशलर बुद्धि परीक्षण (Wechsler Intelligence Scale), मैरिल एवं पामर बुद्धि परीक्षण (Merril and Palmer Intelligence Scale), पिन्टर-पैटरसन परफोरमेन्स स्केल (Pinter- Paterson Performance Scale), मैरिल-पामर ब्लाक बिल्डिंग परीक्षण (Merril Palmer Block Building Test) और पोर्टियस भूल भुलैया परीक्षण (Porteus Maze Test) ।


सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Group Intelligence Tests)—

ये वे बुद्धि परीक्षण हैं जो एक समय में अनेक (सैंकड़ों-हजारों) प्रयोज्यों (व्यक्तियों) पर एक साथ प्रशासित किए जा सकते हैं। इन परीक्षणों के प्रशासन में परीक्षणकर्ता को प्रयोज्य से किसी प्रकार के सम्बन्ध स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती। वह स्वयं या अन्य साथियों के माध्यम से बुद्धि परीक्षण को वितरित करा देता है। परीक्षण सम्बनधी निर्देश परीक्षण पर ही मुद्रित होते हैं या उन्हें अलग से मुद्रित कराकर परीक्षण के साथ वितरित करा दिया जाता है।  

मुख्य परीक्षण - आर्मी एल्फा परीक्षण (Army Alpha Test), बर्ट सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Burt's Group Intelligence Test), जलोटा बुद्धि परीक्षण (Jalota's Intelligence Test), रेविन्स प्रोग्रेसिव मैट्रिक्स (Raven's Progressive Matrix), कैटिल कल्चर फ्री परीक्षण (Cattell's Culture Free Test) और आर्मी बीटा परीक्षण (Army Beta Test)।

शाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Verbal Intelligence Tests)-

  •  ये वे बुद्धि परीक्षण होते हैं जिनमें प्रश्नों एवं समस्याओं को शब्दों अर्थात् भाषा  के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है ।
  •  प्रयोज्यों (व्यक्तियों) को इनका उत्तर भाषा के माध्यम से ही देना होता है। 
  • इनका निर्माण एवं मानकीकरण करना सरल होता है ।

  • इनके निर्माण में खर्च कम  होता है ।
  • ये छोटे बच्चों की बुद्धि का मापन करने के लिए उपयुक्त नहीं होते। 

    • इनकी वैधता एवं विश्वसनीयता अधिक होती है। 
    • इसके  द्वारा मन्द बुद्धि बच्चों की बुद्धि का मापन सही ढंग से नही किया जा सकता।

    •  इन्हें व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों रूपों में प्रयोग किया जा सकता है। 
    •  इनका प्रशासन सरलता से किया जा सकता है। 

    •  इनका अंकन वस्तुनिष्ठ होता है।

    • केवल शिक्षित व्यक्तियों पर ही प्रशासित किए जा सकते हैं। 


    अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Non-Verbal Intelligence Tests)-  

    • ये वे बुद्धि परीक्षण हैं जिनमें प्रश्नों एवं समस्याओं को भाषा में प्रस्तुत न करके बड़े आकार  की वस्तुओं और चित्रों आदि के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है 
    • प्रयोज्यों (व्यक्तियों) को इनका उत्तर यथा क्रियाओं द्वारा देना होता है। ये परीक्षण केवल पेपर-पेन्सिल परीक्षण (Paper - Pencil Tests) के रूप में भी हो सकते हैं, केवल निष्पादन परीक्षण (Performance Tests) के रूप में भी हो सकते हैं और इन दोनों के संयुक्त रूप में भी हो सकते हैं। 
    • कागज-पेन्सिल परीक्षणों में वस्तुगत या चित्रात्मक समस्याएँ मुद्रित रूप में प्रस्तुत की जाती हैं और प्रयोज्य उनका हल पेन्सिल द्वारा करते हैं और निष्पादन परीक्षणों में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को प्रस्तुत कर उन्हें व्यवस्थित कराया जाता है और प्रयोज्य उन्हें यथा क्रम अथवा स्वरूप में व्यवस्थित करते हैं।

    • इनका निर्माण एवं मानकीकरण करना कठिन  होता है ।
    • इनका प्रयोग किसी पर भी किया जा सकता है ।

    • ये छोटे बच्चों एवं  मन्द बुद्धि बच्चों की बुद्धि के  मापन में विशेष उपयोगी होते हैं  ।
    • ये  अधिक वैध एवं विश्वसनीय होते  हैं । 

    • इनका प्रशासन  शिक्षित  एवं अशिक्षित व्यक्तियों  दोनों पर किया जाता है ।
    • इन्हें व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों रूपों में प्रयोग किया जा सकता है। 

    मनोवैज्ञानिक परीक्षण के चरण (Steps of Psychological Test)

    1. समस्या (Problem)/उद्देश्य (Objective)
    2. परीक्षण परिचय (Introduction)
    3. प्रतिदर्श/प्रयोज्य परिचय (Sample)
    4. नियन्त्रण (Control)
    5. निर्देश (Instructions)
    6. परीक्षण प्रक्रिया (Procedure)
    7. प्रदत्त संग्रह एवं परिणाम (Data Analysis/Result)
    8. व्याख्या एवं निष्कर्ष (Discussion and Conclusion)
    9. संदर्भ (Reference)

      Emotional Intelligence Scale  (1) उद्देश्य (Objective):-   संवेगात्मक   बुद्धि  मापनी के माध्यम से प्रयोज्य के  संवेगात्मक  बुद्धि का अध्य...