आईजेंक व्यक्तित्व प्रश्नावली (Eysenck Personality Questionnaire, EPQ)
(1) उद्देश्य (Objective):- आईजेंक व्यक्तित्व प्रश्नावली के माध्यम से प्रयोज्य के व्यक्तित्व का अध्ययन करना।
(2) परीक्षण परिचय (Introduction):- यह प्रश्नावली Dr. B. Dey एवं Dr. R. Thakur द्वारा निर्मित की गई है। इस प्रश्नावली में 72 प्रश्न हैं। यह प्रश्नावली प्रौढ़ (Adulthood) (18-55 Years) व्यक्तियों पर प्रशासित की जाती है।
व्यक्तित्व का अर्थ (Meaning of Personality)
1. शाब्दिक अर्थ (Word's Meaning)- व्यक्तित्व अंग्रेजी के पर्सनैलिटी (Personality) का हिंदी रूपांतरण है। यह शब्द लैटिन भाषा के परसोना (Persona) शब्द से बना है। परसोना का अर्थ है मुखौटा अर्थात् नकली चेहरा। पाश्चात्य देशों में व्यक्तित्व वे व्यक्ति जो नाटक करते समय जो वेश-भूषा धारण करते थे और जिस पात्र का अभिनय करते थे उनकी वही पर्सनैलिटी मानी जाती थी।
2. सामान्य दृष्टिकोण से अर्थ (Meaning from the General point of view)- आम तौर पर व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के बाह्य स्वरूप तथा उन गुणों से लिया जाता है जिनके द्वारा एक व्यक्ति दूसरों को अपनी ओर आकर्षित एवं प्रभावित करता है।
3. व्यवहार के दृष्टिकोण से अर्थ (Meaning from the point of view of behavior)- “व्यक्तित्व व्यक्ति के संगठित व्यवहार का सम्पूर्ण चित्र होता है।' (''A man's personality is the total picture of his organised behaviour.")
“किसी व्यक्ति के व्यवहार का सम्पूर्ण गुण व्यक्तित्व है।"
4. दार्शनिक-दृष्टिकोण से अर्थ -- दर्शनशास्त्र के अनुसार, “व्यक्तित्व आत्मज्ञान का ही दूसरा नाम है, यह पूर्णता का आदर्श है।"
5. सामाजिक दृष्टिकोण से अर्थ- “व्यक्तित्व उन सब तत्वों का संगठन है जिनके द्वारा व्यक्ति को समाज में कोई स्थान प्राप्त होता है। इसलिए हम व्यक्तित्व को सामाजिक प्रवाह कह सकते हैं।"
6. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से अर्थ- इस दृष्टिकोण से व्यक्तित्व की व्याख्या में वंशानुक्रम और वातावरण दोनों को महत्व प्रदान किया गया है। अर्थात व्यक्ति में आन्तरिक और बाह्य जितनी भी विशेषताएँ, योग्यताएँ और विलक्षणताएँ होती हैं, उन सबका समन्वित या संगठित (Integrated) रूप व्यक्तित्व है।
व्यक्तित्व की परिभाषाएँ
(Definitions of Personality)
वेलेंटाइन (Valentine) के अनुसार- व्यक्तित्व जन्मजात और अर्जित प्रवृत्तियों का योग है। (Personality is the sum total of innate and acquired dispositions.)
मार्टन प्रिन्स (Morton Prince) के अनुसार- व्यक्तित्व, व्यक्ति के समस्त जैविक जन्मजात संस्थानों, आवेगों, प्रवृत्तियों, अभिक्षमताओं एवं मूल प्रवृत्तियों और अनुभवों के द्वारा अर्जित संस्कारों एवं प्रवृत्तियों का योग है। (Personality is the sum total of the biological innate dispositions, impulses, tendencies, aptitudes and instincts of the individual and the dispositions and tendencies acqured by experience.)
मैकरडी (Mac Curdy) के अनुसार- व्यक्तित्व प्रतिरूपों (रुचियों) का वह समाकलन है जो व्यक्ति के व्यवहार को एक विशेष प्रकार का वैयष्टिक रूप प्रदान करता है। (Personality is an integration of patterns (interests) which gives a peculiar individual trend to the behaviour of the organism.)
ऑलपोर्ट (G.W. Allport) के अनुसार- व्यक्तित्व, व्यक्ति के अन्दर उन मनोशारीरिक संस्थानों का गत्यात्मक संगठन है, जो वातावरण के साथ उसका अनूठा समायोजन स्थापित करता है (Personality is the dynamic organization within the individual of those psycho-physical systems that determine his unique adjustment to his environment.)
गिलफोर्ड (Guilford) के अनुसार- व्यक्तित्व व्यक्ति के गुणों का समन्वित रूप है।
व्यक्तित्व के प्रकार (Types of Personality)
विभिन्न मनोवैज्ञानिकों, विद्वानों द्वारा व्यक्तित्व के अलग - अलग वर्गीकरण किये गए हैं -
1. स्वभाव के आधार पर वर्गीकरण (Classification according to temperaments)-
हिप्पोक्रेटस् (Hyppocrates) एवं गेलेन (Gallen) ने व्यक्तियों को स्वभाव के आधार पर चार भागों में विभक्त किया है-
(i) उग्र स्वभावी (Chalenic)- इस वर्ग में गैलेन ने शक्तिशाली एवं उग्र स्वभाव वाले व्यक्तियों को रखा है। इस वर्ग के व्यक्तियों को क्रोध बहुत शीघ्र आता है।
(ii) चिन्ताग्रस्त (Melancholy)- इस वर्ग में गेलेन ने चिन्ता से ग्रस्त रहने वाले व्यक्तियों को रखा है। इस वर्ग के व्यक्ति प्रायः उदास रहते हैं और निराशावादी होते हैं।
(iii) निरुत्साही (Phlegmatic)- इस वर्ग में गेलेन ने उत्साहहीन व्यक्तियों को रखा है। इस वर्ग के व्यक्ति प्रायः शान्तिप्रिय और आलसी होते हैं।
(iv) उत्साही (Sanguine)- इस वर्ग में गेलेन ने उत्साह से पूर्ण व्यक्तियों को रखा है। इस वर्ग के व्यक्ति आशावादी और क्रियाशील होते हैं।
2. शारीरिक रचना के अनुसार वर्गीकरण (Classification according to physical structure) -
- मनोवैज्ञानिक शेल्डन (W.H. Sheldon) ने मनुष्य की शरीर रचना और उसके व्यक्तित्व के बीच सम्बन्धों का अध्ययन करके व्यक्तित्व के तीन प्रकार बताये हैं -
(i) गोलाकार (Endomorphic)- इस आकार के व्यक्ति अधिक मोटे , गोल, कोमल और स्थूल शरीर के होते हैं।यह आराम पसन्द, शौकीन मिजाज, भोजनप्रिय और प्रसन्नचित प्रकृति के होते हैं। साथ ही परम्परावादी, सहनशील और सामाजिक होते हैं। ये परेशानी आने पर जल्दी घबरा जाते हैं।
(ii) आयताकार (Mesomorphic)- इस आकार के व्यक्ति जोशीले, रोमांचप्रिय, प्रभुत्ववादी और उद्देश्य केन्द्रित होते हैं। साथ ही क्रोधी प्रकृति के होते हैं। इनकी रीड की हड्डी मजबूत होती है तथा किसी परेशानी के आने पर ये उसका साहस के साथ समाधान करने का प्रयास करते हैं।
(iii) लम्बाकार (Ectomorphic)- ऐसे व्यक्ति दुबले - पतले , कोमल , कमजोर शरीर वाले होते है। इस आकार के व्यक्ति शान्तिप्रिय एवं एकान्तप्रिय होते हैं। ये अल्प निद्रा वाले होते हैं और शीघ्र थक जाने वाले होते हैं। साथ ही निष्ठुर प्रकृति के होते हैं। इनकी रीड की हड्डी कमजोर होती है तथा ये परेशानी आने पर अन्दर ही अन्दर कुढ़ते रहते हैं और संकोचवश अपनी बात दूसरों के सामने नहीं बताते हैं।
मनोवैज्ञनिक कैचमेर (Kretschmer) ने व्यक्तित्व के तीन प्रकार बताये है -
(i) निबलकाय (Asthenic)- इस प्रकार का व्यक्ति लम्बा लेकिन दुबला होता है उसके चेहरे की बनावट चपटी होती है यह अन्य लोगों से अलग रहना पसन्द करता है। यह स्वभाव से दूसरों की आलोचना करने में आनन्द लेता है लेकिन अपनी आलोचना पसन्द नहीं करता है।
(ii) सुडौलकाय (Athletic) - इस प्रकार के व्यक्ति शरीर से हृष्ट-पुष्ट और स्वस्थ होते हैं उनके शरीर का गठन सन्तुलित तथा सुदृढ़ होता है इनमें सामंजस्य की क्षमता अधिक होती है।
(iii) गोलकाय (Pyknic) - इस प्रकार के व्यक्ति बौने तथा गोल-मटोल होते हैं। इनका चेहरा गोल तथा पेट बड़ा होता है। ये आराम तलब तथा प्रसन्नचित्त प्रकृति के होते हैं।
3. मनोवैज्ञानिक गुणों के आधार पर (On the basis of psychological characteristics)—
मनोवैज्ञानिक जुंग (Jung) ने मनुष्य की मानसिक प्रकृति और उसके व्यक्तित्व के बीच सम्बन्धों का अध्ययन करके व्यक्तित्व के दो प्रकार बताये हैं -
(i) बहिर्मुखी (Extrovert) - इस प्रकार के व्यक्ति सामाजिक प्रवृत्ति के होते हैं। ये अन्य व्यक्तियों से मिलना-जुलना पसन्द करते हैं और समाज के लिए उपयोगी होते हैं। ये आदर्शवादी (Idealistic) कम और यथार्थवादी (Realistic) अधिक होते हैं। ये आशावादी (Optimistic) होते हैं और सदैव प्रसन्न रहते हैं। ये खाने-पीने और खिलाने-पिलाने में विश्वास करते हैं और मस्त रहते हैं। इनमे आत्मप्रदर्शन की भावना अधिक होती है। इस प्रकार के व्यक्ति अधिकतर सामाजिक, राजनैतिक या व्यापारिक नेता, अभिनेता, खिलाड़ी आदि बनते हैं ।
(ii) अन्तर्मुखी (Introvert) - इस प्रकार के व्यक्ति एकान्त प्रिय होते हैं, दूसरों से मिलना-जुलना कम पसन्द करते हैं। और कुछ ही लोगों से मित्रता करते हैं। ये प्रायः रूढ़िवादी (Conservative) प्रकृति के होते हैं और पुराने रीति-रिवाजों को आदर देते हैं। ये अच्छे लेखक होते हैं परन्तु अच्छे वक्ता नहीं होते । ये अध्यनशील एवं मननशील होते हैं । प्रायः ऐसे व्यक्ति किताबी कीड़े होते हैं और आगे चलकर वैज्ञानिक , दार्शनिक और अन्वेषक बनते हैं ।
कुछ मनोवैज्ञानिकों ने इस वर्गीकरण की आलोचना की और कहा की अधिकतर लोगों में अंतर्मुखी तथा बहुर्मुखी दोनों प्रकार के गुण पाए जाते हैं । वर्तमान में इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्तित्व को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है ।
(iii) उभयमुखी (Ambivert)- इस प्रकार का व्यक्ति अन्तर्मुखी गुणों को विचार में ला सकता है और बहिर्मुखी गुणों को कार्य रूप में स्थान दे सकता है। उदा०- एक व्यक्ति अच्छा लेखक और वक्ता दोनों हो सकता है, एक व्यक्ति सामाजिक व्यवहार प्रदर्शित करता है किन्तु वह कोई कार्य अकेले ही करना पसन्द करता है। उभयमुखी व्यक्ति अपना तथा समाज दोनों का लाभ देखता है।
4. समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के आधार पर वर्गीकरण (Classification on the basis of sociological point of view)
मनोवैज्ञानिक स्प्रेंजर (Spranger) ने अपनी पुस्तक (Type of Men) में व्यक्तित्व को 6 वर्गों में विभाजित किया है -
(i) सैद्धान्तिक (Theoretical)- इस वर्ग में स्प्रेन्जर ने उन व्यक्तियों को रखा है जो सदैव ज्ञान प्राप्त करने के इच्छुक रहते हैं. सिद्धान्तों को महत्त्व देते हैं और कष्ट सहनकर भी आदर्शों का पालन करते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः अव्यावहारिक होते हैं । दार्शनिक , समाज सुधारक इसी कोटि में आते हैं ।
(ii) आर्थिक (Economical)- इस वर्ग में स्प्रेन्जर ने उन व्यक्तियों को रखा है जो भौतिक सुखों के इच्छुक होते हैं, धन को अधिक महत्त्व देते हैं और धनार्जन के लिए कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः व्यावहारिक होते हैं। इस श्रेणी में व्यापारी आते हैं ।
(iii) सामाजिक (Social) - इस वर्ग में स्प्रेन्जर ने उन व्यक्तियों को रखा है जो समाज और सामाजिक सम्बन्धों को अधिक महत्त्व देते हैं दयालु, त्यागी और परोपकारी होते हैं, समाज सेवक एवं समाज सुधारक होते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत अधिक व्यवहारकुशल होते हैं।
(iv) राजनैतिक (Political)- इस वर्ग में स्प्रेन्जर ने उन व्यक्तियों को रखा है जो राजकार्य में रुचि लेते हैं, राजसत्ता से जुड़े रहना चाहते हैं और राज्य में अपनी भागीदारी चाहते हैं। ऐसे व्यक्ति राजनैतिक दाँव-पेंच में बड़े माहिर होते हैं।
(v) धार्मिक (Religious) - इस वर्ग में स्प्रेन्जर ने उन व्यक्तियों को रखा है जो ईश्वर में विश्वास करते हैं, दैवीय प्रकोप से डरते हैं और आध्यात्मिक मूल्यों का पालन करते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः आत्मसन्तोषी एवं परोपकारी होते हैं। जैसे - साधु , संत , योगी, दयालु और धर्मात्मा व्यक्ति ।
(vi) सौन्दर्यात्मक (Aesthetic)- इस वर्ग में स्प्रेन्जर ने उन व्यक्तियों को रखा है जो सौन्दर्य प्रिय होते हैं। ऐसे व्यक्तियों का झुकाव प्रायः कला, संगीत एवं नृत्य आदि की ओर अधिक होता है।
आईजेंक के अनुसार - आईजेंक ने व्यक्तित्व के तीन आयाम बताए-
(1) अंतर्मुखता - बहिर्मुखता (Introversion - Extroversion):-
अंतर्मुखता- आसानी से प्रभावित, निराशावादी, चिंताग्रस्त, कम उत्तेजित, कम महत्वाकांक्षी, गंभीर।
बहिर्मुखता- आवेगशील, परिवर्तनशील, क्रियाशील, सामाजिक आदि।
(2) स्नायुविकता (Neurocitism):- मनमौजी (Moody), अति संवेदनशील, बैचेन, उग्र स्वभाव, करुणामय एवं दुश्चिंता से ग्रस्त।
(3) मनोविकारिता (Psychoticism):- एकांतप्रिय, कम क्रियाशील, अहंकारी, सामाजिक मर्यादाओं का विरोधी होता है।
आइजेंक के अनुसार अंतर्मुखी, बहिर्मुखी तथा स्नायुविकता के कारण व्यक्तियों में जो विभिन्नताएं पाई जाती हैं उनमें से 75% वंशानुक्रम से निर्धारित होती हैं।
(3) सामग्री (Tools):- Dr. B. Dey तथा Dr. R. Thakur द्वारा निर्मित प्रश्नावली, पेपर, पेंसिल, स्टॉपवॉच आदि।
(4) प्रतिदर्श/प्रयोज्य परिचय (Sample):-
प्रयोज्य का नाम:- ABC
पिता का नाम :-. XYZ
लिंग : ................................
आयु: .............................
योग्यता : ..............,...............
संस्था का नाम: ..........................
(5) नियंत्रण (Control) : -
- परीक्षण के दौरान कमरे में प्रकाश की उचित व्यवस्था की गई।
- कमरे का वातावरण शांत रखा गया।
- प्रयोज्य के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का उचित प्रकार से ध्यान रखा गया।
- बैठने की उचित व्यवस्था की गई।
- ...............
(6) निर्देश (Instructions):- प्रयोज्य को उचित स्थान पर बैठाने के पश्चात् उसके साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार स्थापित किया गया। उसके बाद परीक्षण से सम्बन्धित निर्देश दिए गए-
1. प्रत्येक प्रश्न के आगे तीन विकल्प दिए गए हैं - हां, अनिश्चित तथा नहीं । इनमें किसी एक खाने में सही का निशान लगाएं।
2. सभी प्रश्नों के उत्तर देना आवश्यक है। जब तक परीक्षण को प्रारंभ करने के लिए नही कहा जाय तब तक किसी भी कथन पर निशान न लगाएं।
3. आपको किसी भी कथन का उत्तर किसी दूसरे व्यक्ति से नही पूछना है।
(7) परीक्षण प्रक्रिया (Test Procedure):-
प्रयोज्य को निर्देश देने के बाद परीक्षण प्रक्रिया आरंभ की गई। इस दौरान प्रयोगकर्ता द्वारा प्रयोज्य का निरीक्षण किया गया। प्रयोज्य इस प्रक्रिया पहले घबराया। फिर प्रयोगकर्ता पुनः उसे निर्देश दिए गए और उसे सामान्य मानसिक स्थिति में लाया गया। प्रयोज्य द्वारा समय पर प्रश्नों के उत्तर दिए गए।
(8) प्रदत संग्रह एवं परिणाम (Data Collection & Result):-
परीक्षण प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद प्रयोगकर्ता द्वारा प्रयोज्य के उत्तरों का अंकन किया गया।
तालिका- 1
तालिका - 2
(9) व्याख्या एवं निष्कर्ष (Discussion and Conclusion):-
Dr. B. Dey एवं Dr. R. Thakur द्वारा निर्मित प्रश्नावली प्रयोज्य पर प्रशासित किया गया। इससे यह पता चला कि प्रयोज्य की .......................... की विमा ......... है। .................................................
(10) संदर्भ ग्रंथ सूची (Reference):-
QUESTIONNAIRE
https://drive.google.com/drive/folders/1GkgaKQ3jMu1hA1BnqBZFPrKdWY5yr0gy?usp=sharing
No comments:
Post a Comment